नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए हुनरमंद बन रहे हैं कैदी, कारागार प्रशासन प्रशिक्षण के साथ दिलाएगा आर्थिक मदद

रामपुर जिला कारागार में बंदियों की शिक्षा के लिए जहां जेल में शिक्षक की नियुक्ति की गई है वहीं उन्हें हुनरमंद भी बनाया जा रहा है। अपराध की राह छोड़कर उनको स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन की पहल रंग ला रही है।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 04:30 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 04:30 PM (IST)
नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए हुनरमंद बन रहे हैं कैदी, कारागार प्रशासन प्रशिक्षण के साथ दिलाएगा आर्थिक मदद
अपराध की राह छोड़कर उनको स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन की पहल रंग ला रही है।

 मुरादाबाद, जेएनएन। रामपुर जिला कारागार में बंदियों की शिक्षा के लिए जहां जेल में शिक्षक की नियुक्ति की गई है, वहीं उन्हें हुनरमंद भी बनाया जा रहा है। अपराध की राह छोड़कर उनको स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन की पहल रंग ला रही है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और बैंक आफ बड़ौदा स्वरोजगार योजना के तहत बंदियों को हुनरमंद बनाने के लिए प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। अब तक 35 महिला बंदी और 30 पुरुष बंदी प्रशिक्षण लेकर हुनरमंद बन चुके हैं। महिला बंदियों ने सिलाई कढ़ाई के साथ जरी पैचवर्क का प्रशिक्षण लिया है, जबकि पुरुष बंदियों ने इलेक्ट्रानिक सामान की मरम्मत में पारंगत हो चुके हैं।

जेल अधीक्षक पीडी सलौनिया कहते हैं कि बंदी जब रिहा होते हैं तो उनके हाथों में कोई हुनर नहीं रहता है। इससे या तो वे दोबारा अपराध की तरफ बढ़ जाते हैं या फिर मेहनत-मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट भरते हैं। उन्हें दोबारा अपराध की ओर जाने से रोकने के लिए हुनरमंद बनाया जा रहा है। इससे वे जेल से बाहर निकलने पर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। अभी प्रशिक्षण प्राप्त कोई बंदी रिहा नहीं हुआ है। पुरुष बंदियों को प्रशिक्षण देने वाली कंपनी के ट्रेनर जेल में ही इनसे एलईडी बल्ब बनवा रहे हैं।

दिल्ली की कंपनी दे रही प्रशिक्षण

दिल्ली की कंपनी टीएस स्किल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जेलों में बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रामपुर कारागार में बंदियों को ट्रेनिंग देने वाले कंपनी के ट्रेनर जय प्रकाश ने बताया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 30 पुरुष बंदियों को डोमेस्टिक इलेक्ट्रिशियन की ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग में बंदियों को बिजली की वायरिंग करना, बिजली संचालित घरेलू उत्पाद जैसे मिक्सी, टोस्टर, आयरन आदि की मरम्मत करना सिखाया गया है। इसके अलावा एलईडी बल्ब बनाना सिखाया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बंदियों को स्वरोजगार के लिए सहायता भी दिलाई जाएगी। अपना काम करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए उन्हें योजना में किस तरह आवेदन करना है, इसकी जानकारी भी दी गई है। बंदी जेल से बाहर आने के बाद स्वरोजगार कर सकते हैं।

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