Rampur Panchayat Chunav Result News: रामपुर में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी नहीं जीत पाए कद्दावर नेता, जानिए क्या रही वजह
Rampur Panchayat Chunav Result News भाजपा के कई कद्दावर नेता जिला पंचायत सदस्य का चुनाव ही नहीं जीत पाए। दो पूर्व जिलाध्यक्ष और जिला महामंत्री भी पराजित हो गए। भाजपाइयों के अलावा और भी कई बड़े नेता चुनाव हार गए।
मुरादाबाद, जेएनएन। Rampur Panchayat Chunav Result News: भाजपा के कई कद्दावर नेता जिला पंचायत सदस्य का चुनाव ही नहीं जीत पाए। दो पूर्व जिलाध्यक्ष और जिला महामंत्री भी पराजित हो गए। भाजपाइयों के अलावा और भी कई बड़े नेता चुनाव हार गए।
पंचायत चुनाव की मतगणना रविवार सुबह आठ बजे तक शुरू हुई थी, जो मंगलवार रात तक जारी रही। जिला पंचायत से ही विजयी प्रत्याशियों को प्रमाण पत्र दिए गए। इस चुनाव में भाजपा के कई कद्दावर नेता बुरी तरह हार गए। पूर्व जिलाध्यक्ष मोहन लाल सैनी और सुरेश गंगवार भी नहीं जीत सके। इसी तरह जिला महामंत्री महा सिंह भी चुनाव हार गए। उन्होंने इस चुनाव को लड़ने के लिए जिला महामंत्री पद से इस्तीफा दिया था।
पांच साल पहले सपा शासनकाल में हुए चुनाव में वह जीत गए थे, लेकिन अपनी पार्टी के राज में वह हार गए। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह और उनके पुत्र को भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि चंद्रपाल सिंह की पत्नी मीरा सिंह चुनाव जीत गई हैं। शुरूआती रूझान में वह भी पीछे चल रही थीं, लेकिन अंतिम चरण तक पहुंचकर जीत के करीब पहुंच गईं।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक काशीराम दिवाकर के बेटे की पत्नी को हराया। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अब्दुल सलाम का तो पूरा परिवार ही हार गया। उनकी पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जाहिदा सलाम और दोनों बेटियां मुकाबले में भी नहीं आ सकीं। उनके साले जाकिर हुसैन को भी हार का सामना करना पड़ा। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लाखन सिंह की पुत्र वधू भी चुनाव हार गईं। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष मुतीउर्रहमान खां बब्लू भी चुनाव हार गए।
ख्याली राम लोधी चुनाव जीते
भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष ख्याली राम लोधी चुनाव जीत गए। वह 20 साल पहले अध्यक्ष चुने गए थे, इस बार भी वह अध्यक्ष बनने के लिए उनका नाम चर्चा में है।
चिंटू ने बनाया रिकार्ड
जिला पंचायत सदस्य इम्तियाज हुसैन चिंटू ने चुनाव जीतकर रिकार्ड बना दिया है। वह वर्ष 2000 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। लगातार दो बार खुद सदस्य बने। 2010 में उनका वार्ड महिला के लिए आरक्षित हो गया तो अपनी मां ताहिरा बेगम को चुनाव मैदान में उतार दिया और वह भी जीत गईं। 2015 में वार्ड अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हुआ तो अपने करीबी शेर सिंह की पत्नी मुनेश के चुनाव लड़ाया।
वह भी चुनाव जीत गईं। इस बार वह खुद चुनाव लड़े और 9670 मत प्राप्त कर विजयी रहे। उनके बड़े भाई असरार हुसैन चमरौआ से ग्राम प्रधान चुने गए, जबकि दूसरे भाई अफसार हुसैन दबका के ग्राम प्रधान बने हैं। इन दोनों गांवों में पहले उनकी भाभियां ग्राम प्रधान थीं।