दुष्कर्म में फंसे इंस्पेक्टर और अस्पताल संचालक के खिलाफ बयान दर्ज, एसआइटी कर रही जांच

Misdeed case investigation स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव के खिलाफ बयानों के लिए एसआइटी ने पीड़िता को कोर्ट में पेश किया। उसके धारा 164 के बयान कराए। गंज कोतवाली में कुछ दिन पहले महिला की शिकायत पर यह मुकदमा दर्ज हुआ था।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 02:39 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 02:39 PM (IST)
दुष्कर्म में फंसे इंस्पेक्टर और अस्पताल संचालक के खिलाफ बयान दर्ज, एसआइटी कर रही जांच
पुलिस ने वहां आसपास के लोगों से भी बयान लिए।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Misdeed case investigation : रामपुर में दुष्कर्म के मुकदमे में फंसे पूर्व गंज कोतवाल रामवीर सिंह यादव और स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव के खिलाफ बयानों के लिए एसआइटी ने पीड़िता को कोर्ट में पेश किया। उसके धारा 164 के बयान कराए। गंज कोतवाली में कुछ दिन पहले महिला की शिकायत पर यह मुकदमा दर्ज हुआ था।

मुकदमा दर्ज होने के समय इंस्पेक्टर रामवीर सम्भल में तैनात थे। वहां के एसपी ने उन्हें निलंबित कर दिया है। इस मामले की जांच एसआइटी कर रही है। एसआइटी की टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच पीड़ित महिला को कोर्ट में बयान के लिए पेश किया। एसआइटी की टीम ने पीड़िता को लेकर घटनास्थल का भी मुआयना किया। महिला ने घटना स्वामी विवेकानंद हास्पिटल की बताई थी। पुलिस ने वहां आसपास के लोगों से भी बयान लिए।

पक्षद्रोही हुई दुष्कर्म पीड़िता, युवक बरी : दुष्कर्म के एक मुकदमे में पीड़िता पुलिस को दिए बयानों से पलट गई। उसके पक्षद्रोही होने पर अदालत ने युवक को बरी कर दिया। साथ ही कोर्ट ने उसके खिलाफ झूठी गवाही देने पर वाद दर्ज करते हुए नोटिस जारी किया है। मामला भोट थाना क्षेत्र के एक गांव का है। क्षेत्र की रहने वाली एक छात्रा 15 मई 2019 को बिलासपुर के एक कालेज से परीक्षा देकर लौट रही थी। आरोप था कि युवक अलीम उसे रास्ते में कार में अपहरण कर अलीगढ़ ले गया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने छात्रा के बयान कोर्ट में दर्ज कराए। बाद में युवक के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इस दौरान अभियोजन की ओर से पीड़िता सहित तीन गवाहों के बयान कोर्ट में कराए। पीड़िता अपने पूर्व में दिए गए बयानों से मुकर गई और उसने युवक के साथ अपनी मर्जी से जाने और शादी होने की बात कही। अधिवक्ता मोहम्मद इस्लाम के मुताबिक कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी एक्ट) अमित वीर सिंह ने अलीम को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि छात्रा ने पूर्व में जो बयान दिए थे, उनका समर्थन न करते हुए झूठा बयान न्यायालय में दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि छात्रा के खिलाफ विविध वाद दर्ज कर नोटिस जारी किया जाए।

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