चार महीने की जंग के बाद बेटे को दिलाया प्रवेश Moradabad News

स्कूल प्रबंधन के आरटीई में प्रवेश से इन्कार के बाद बाल संरक्षण आयोग का खटखटाया दरवाजा स्कूल का जवाब तलब हुआ तब सात बच्चों का प्रवेश दिलाने में कामयाब हुए जौनी !

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 01:30 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 03:40 PM (IST)
चार महीने की जंग के बाद बेटे को दिलाया प्रवेश Moradabad News
चार महीने की जंग के बाद बेटे को दिलाया प्रवेश Moradabad News

मुरादाबाद, (तेजप्रकाश सैनी)। शिक्षा का अधिकार 2009 कानून लागू होने के बाद भी प्रवेश के लिए अभिभावकों को पापड़ बेलने पड़ते हैं। मुकद्दर का सिंकदर वही है, जिसके बच्चे का प्रवेश लाटरी में नाम आने के बाद आसानी से हो जाए लेकिन, जिनके बच्चे का प्रवेश स्कूल नहीं लेते, उन अभिभावक के पास अफसरों के चक्कर काटने के सिवाए कोई चारा नहीं है। जो अपने बच्चे की शिक्षा के लिए ऊपर तक लड़ाई लड़कर प्रवेश करा पाए वह खुश नसीब हैं। कांठ रोड के वार्ड पांच में मऊ गांव निवासी जौनी त्यागी ने अपने बेटे आदित्य त्यागी ही नहीं बल्कि सात बच्चों का प्रवेश कराने में कामयाबी हासिल की। जौनी ने आरटीई में प्रवेश के लिए केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग तक चार महीने लड़ाई लड़ी और प्रवेश कराकर ही दम लिया। 

जौनी त्यागी खुद विकलांग हैं और आरटीई कानून 2009 में स्पष्ट है कि विकलांग के बच्चे निश्शुल्क प्रवेश पा सकते हैं लेकिन, कांठ रोड के एक स्कूल ने लाटरी में नाम आने के बाद भी प्रवेश नहीं लिया। बीएसए ने प्रवेश न लेने पर स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगा। जवाब मिला कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा-05 के तहत बच्चा पहले से किसी और स्कूल में पढ़ रहा है तो प्रवेश नहीं हो सकता। दूसरा, बच्चे के अभिभावक उस वार्ड में निवास नहीं करते जिसमें स्कूल स्थित है। इस जवाब से अभिभावक को अवगत कराया गया तो वह तथ्यों के साथ स्कूल पहुंचे और प्रबंधन से कहा कि आरटीई अधिनियम के 37 पेज में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि पहले से किसी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे का प्रवेश आरटीई में नहीं हो सकता। इसके बाद भी प्रबंधन ने प्रवेश नहीं लिया तो उन्होंने बाल संरक्षण आयोग का दरवाजा खटखटाया और स्कूल वाले वार्ड में ही निवास करने के साक्ष्य व आरटीई अधिनियम की धारा 05 की प्रति भी भेजी, जिसमें ऐसा कोई उल्लेख नहीं था, जिस वजह से प्रवेश नहीं लिया जा रहा था। बाल संरक्षण आयोग ने स्कूल प्रबंधन का जवाब तलब कर लिया। तब जाकर प्रवेश हुआ। न केवल उनके बच्चे बल्कि सात अन्य बच्चों का भी स्कूल को प्रवेश लेना पड़ा।

जौनी त्यागी के अनुसार बाल संरक्षण आयोग से फोन भी आया था कि प्रवेश हो गया है तो जवाब भेज दीजिए। उन्होंने तब तक जवाब नहीं दिया जब तक सातों बच्चों का प्रवेश नहीं हो गया। जौनी कहते हैं कि आरटीई में इस वर्ष वह 50 गरीब परिवारों के बच्चों का प्रवेश कराएंगे।  

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