सौ फीसद जूते बांटने के दावाें की पोल खोल रहीं चप्पलें, कई छात्र बोले नहीं मिले तो कुछ ने कहा फट गए
Shoes Distribution in School जूते और मोजे बिना पहने बच्चे स्कूल जा रहे हैं। दावा है कि पिछले सत्र में बच्चों को सौ फीसद जूते और मोजे बांटे गए। लेकिन स्कूल खुलने के बाद 80 फीसद बच्चे बिना जूते और मोजे पहनकर स्कूल आ रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Shoes Distribution in School : जूते और मोजे बिना पहने बच्चे स्कूल जा रहे हैं। दावा है कि पिछले सत्र में बच्चों को सौ फीसद जूते और मोजे बांटे गए। लेकिन, स्कूल खुलने के बाद 80 फीसद बच्चे बिना जूते और मोजे पहनकर स्कूल आ रहे हैं। सवाल उठने लगे हैं कि जब जूते और मोजे सौ फीसद बांटे हैं तो बच्चे चप्पलों में क्यों। जब से बांटे हैं तब अब 23 अगस्त से स्कूल खुले हैं। फरवरी में महज एक महीने के लिए खुले थे, तो क्या एक महीने ही जूते और मोजे फट गए। दैनिक जागरण ने इसको लेकर पड़ताल की।
कुंदरकी, मूंढापांडे, ठाकुरद्वारा में अधिकांश बच्चे बिना जूते और मोजे में मिले। बच्चों से पूछा गया कि पिछले साल जूते और मोजे मिले या नहीं। इस पर वह अपने शिक्षकों के मुंह की ओर देखने लगे। कुछ बच्चे बोले कि फट गए तो कुछ बोले नहीं मिले। ठाकुरद्वारा में बीआरसी पर जूते व मोजे कमरे में बंद मिलने का मामला दैनिक जागरण में गुरुवार के अंक में प्रकाशित किया था। बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वयं जांच करने की बात कही है।
ठाकुरद्वारा में जूते और मोजे के अलावा कृमि मारने की दवा एल्बेंडाजाल भी कमरे में बंद मिली। इसको लेकर सीएमओ ने भी बीएसए से जवाब मांगा कि स्वास्थ्य विभाग से दवा भेजने के बाद भी क्यों नहीं बांटी गई। जूते और मोजे कमरे में कैद मिलने पर सफाई दी जा रही है कि यह दो साल पहले गलती से एक पैर के कंपनी द्वारा भेज दिए थे। सवाल है कि इन जूतों को वापस क्यों नहीं भेजा गया। दवा बांटी नहीं, गलत जूते आने पर वापस भेजे नहीं, कंपनी पर भी कार्रवाई को लेकर विभाग को जानकारी नहीं। गड़बड़ तो हुई है।
गुरुवार को कुंदरकी स्थित प्राइमरी स्कूल मौसमपुर और चांदपुर में पड़ताल की गई। जिसमें अधिकतर बच्चे चप्पल में ही पढ़ते मिले। मूंढापांडे के प्राइमरी विद्यालय में भी बच्चे चप्पलों में पढ़ते मिले। बच्चों को पिछले सत्र में जूते मोजे मिले या नहीं इस सवाल पर चुप्पी साध गए। दो बच्चे बोले कि मिले थे लेकर जल्दी फट गए। ठाकुरद्वारा के स्कूलों में बच्चे चप्पल में ही स्कूल जा रहे हैं। बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने बताया कि इस मामले की जांच में स्वयं करने जाऊंगा। कीड़े मारने की दवा स्कूल को आवंटित होने के बाद भी क्यों नहीं बांटी और जूते कमरे क्यों बंद हैं।