भगवान श्रीराम को वनवास और भरत को राज गद्दी के मंचन पर छलक आईं आंखें
मंडल के मुरादाबाद, अमरोहा, सम्भल और रामपुर जिलों में इन दिनों रामलीलाओं की धूम है। शाम होते हुए लोग अपने भगवान की लीला को देखने के लिए रामलीला स्थलों पर पहुंच जाते हैं और देर रात तक तब तक जमे रहते हैं जब तक रामलीला पूर्ण नहीं हो जाती।
मुरादाबाद: मंडल के मुरादाबाद, अमरोहा, सम्भल और रामपुर जिलों में इन दिनों रामलीलाओं की धूम है। शाम होते हुए लोग अपने भगवान की लीला को देखने के लिए रामलीला स्थलों पर पहुंच जाते हैं और देर रात तक तब तक जमे रहते हैं जब तक रामलीला पूर्ण नहीं हो जाती।
राम वनवास का बड़ा ही मार्मिक मंचन
मुरादाबाद और मंडी धनौरा की श्रीरामलीला के दौरान राम वनवास का बड़ा ही मार्मिक मंचन किया गया। रामलीला मैदान में चल रहे रामलीला महोत्सव में राजा दशरथ भगवान राम का राजतिलक कराए जाने की घोषणा करते है। मंथरा रानी कैकई का उतार चढ़ाव करती है। जिस पर रानी कैकई नाराज होकर कोप भवन में चली जाती है। महाराजा जब रानी को मनाने पहुंचते है तो वह भगवान राम को वनवास व भरत को राज गद्दी दिए जाने की शर्त राजा के समक्ष रखती है। जिस पर राजा राम को वनवास दिए जाने की घोषणा करते है। यह सुनकर पूरी अयोध्या नगरी में मायूसी छा जाती है। राम वनवास का मार्मिक मंचन देखकर लोगों की आंखे नम हो गई।
राम जन्म पर जयकारों से गूंजी औद्योगिक नगरी
अमरोहा के गजरौला स्थित रमाशंकर कौशिक स्मृति पार्क में आयोजित 90 वां श्रीराम लीला महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। वृंदावन से आए कलाकारों ने महोत्सव के तीसरे दिन गुरुवार को मुख्य रूप से राम जन्म का मंचन किया। मंचनानुसार अयोध्या के प्रतापी राजा दशरथ की उम्र ढलती जा रही थी। ऐसे में संतान न होने की ङ्क्षचता उन्हें खाए जा रही थी। बात को वे अपने गुरु वशिष्ठ जी से बताते हैं। वशिष्ठ जी उन्हें श्रृंगी ऋषि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहते हैं। यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्निदेव उन्हें खीर देते हैं। जिसे दशरथ अपनी तीनों रानियों को खिलाते हैं। कुछ समय बीत जाने के बाद तीनों रानियों कौशिल्या से राम, कैकई से भरत व सुमित्रा से लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न पैदा होते हैं। पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद पूरे अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ जाती है। इसी बीच राक्षसों के आतंक से मुक्ति तथा सौ यज्ञों की रक्षार्थ विश्वामित्र दशरथ से राम व लक्ष्मण को मागते हैं। जिस पर वे खुद जाने की बात कहते हैं। इस पर क्रोधित विश्वामित्र उन्हें श्राप देने को कहते हैं। जिस पर गुरु वशिष्ठ समझाते हैं कि राम का जन्म राक्षसों के संहार के लिए ही हुआ है। इतना सुनने के बाद राजा दशरथ राम व लक्ष्मण को सौंप देते हैं। उधर झनकपुरी में अकाल पडऩे पर राजा जनक पत्नी संग हल चलाते हैं। इस दौरान हल एक घड़े से टकराता है और उससे उन्हें कन्या के रूप में सीता प्राप्त होने का मंचन कलाकारों ने बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। मंचन के दौरान पंडाल जय श्रीराम के जयकारों से गुंजायमान रहा।
भगवान राम ने किया धनुष भंग
बछरायूं शहर में रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रहे राम लीला मंचन में कलाकारों द्वारा धनुष भंग का मंचन किया गया। भगवान राम अपने गुरू संग सीता स्वयंवर में पहुंचते है। यहां पर शिव धनुष को भंग कर माता सीता भगवान राम का वरण करती है। इस मौके पर सुरेश शर्मा, शरद सिंह, अरूण रस्तौगी आदि मौजूद थे।
गजरौला में धूमधाम से निकली भगवान श्रीराम की बारात
गजरौला औद्योगिक नगरी में धनुष यज्ञ उपरांत गुरुवार की रात भगवान श्रीराम की बारात धूमधाम के साथ निकाली गई। रेलवे स्टेशन मार्ग पर श्रीरामलीला सेवा समिति के तत्वावधान में लीला मंचन का आयोजन चल रहा है। बीते दिवस यहां धनुष यज्ञ की लीला का मंचन करते हुए श्रीराम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़ डाला। उसके बाद आज गुरुवार की रात मालगोदाम मार्ग से श्रीराम बारात का शुभारंभ हुआ। शुभारंभ पूर्व सांसद एवं भाजपा नेता देवेंद्र नागपाल, राजकुमार अग्रवाल एवं पालिका ईओ बिजेंद्र पाल ङ्क्षसह ने संयुक्त रूप से भगवान श्रीराम की आरती करके किया। इसके बाद राम बारात रेलवे स्टेशन, पीडब्ल्यूडी, खादगूजर चौराहा, ब्लाक कार्यालय, इंदिरा चौक स्थित, शुक्लपुरी से वापस हो सरकारी अस्पताल, टीचर्स कालोनी, अतरपुरा, रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे से होते हुए मुहल्ला बैंक कालोनी होते हुए रेलवे स्टेशन मार्ग पर मंचन स्थल पर पहुंच गए। बारात में शामिल भगवान श्रीराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुधन, भगवान शिव- पार्वती, मां दुर्गा, गणेश जी, गुरु वशिष्ठ, राजा दशरथ आदि झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी थी। इस दौरान बैंडबाजे पर भक्ति गीत गूंजने माहौल भक्ति मय बना था।