व्यक्तित्व व सेवा के बल पर सांसद-विधायक नहीं बनते, इसलिए लूटते हैं : शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
Nischalananda Saraswati in Moradabad शंकराचार्य ने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया ऐसी है कि न चाहते हुए भी सांसद व विधायक बनकर वह लुटेरा हो जाता है। अब व्यक्तित्व और सेवा के बल पर सांसद व विधायक नहीं बनते हैं।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Nischalananda Saraswati in Moradabad : पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद स्वामी ने धर्मसभा में मानव शरीर का महत्व बताया। कहा कि हमारा यह मानव शरीर जलायुज है। शरीर की दृष्टि से माता के गर्भ से हम जेल से पैदा हुए। वसुधैव कुटुम्बकम की व्याख्या हमारा जीवन है। राजनीति में शुचिता कैसे आए, इस पर स्वामी ने तीखी टिपप्णी करते हुए कहा कि जिसको हम राजनीति में भेजते हैं, जिस पर हम विश्वास करते हैं, वही हमें ठग लेता है। पार्टी के नाम पर पैसे दो और वह चुनाव जीतने के लिए खर्चा करें फिर ऐसा व्यक्ति एमएलए, एमपी बनेगा तो लूटेगा ही। चुनाव की प्रक्रिया ऐसी है कि न चाहते हुए भी सांसद व विधायक बनने के बाद वह लुटेरा हो जाता है। 98 फीसद धन से सांसद व विधायक बनते हैं। व्यक्तित्व और सेवा के बल पर सांसद व विधायक नहीं बनते हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया ही इतनी वीभत्स, अव्यवहारिक है कि लोकतंत्र के नाम पर उन्माद है। इसके माध्यम से देश सही ढंग से सुसज्जित नहीं हो सकता और न राजस्व की रक्षा कर सकता है। मुरादाबाद प्रवास के दौरान शंकराचार्य ने राजन एक्लेब में हिंदू धर्म की रक्षा पर कहा कि हिंदू परिवार से एक रुपया, एक घंटा समष्टि के लिए निकालें। अगर नौ व्यक्ति इतने गरीब हैं कि एक रुपया भी नहीं निकाल सकते तो दसवां व्यक्ति उन नौ गरीबों के बदले नौ रुपये निकाले। इसका उपयोग मठ मंदिर क्षेत्र को स्वावलंबी व सुसंस्कृति बनाने में हो। उन्होंने हिंदू धर्म को मजबूत करने के प्रश्न पर कहा कि एक बार वह छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा में गए। छत्तीसगढ़ में हिंदुओं को तत्कालीन सरकार ईसाई बना रही है। हिंदुओं की संख्या 25 हजार थी, मैंने कहा कि एक रुपया एक व्यक्ति निकालकर 25 हजार रुपये व 25 घंटे निकालोगे तो तुम्हारे सामने कोई नहीं टिकेगा। समष्टि से हिंदुओं को जोड़ने की आवश्यकता है, युवा पीढ़ी भी समष्टि से अपने आप को जोड़े। ऊपर संवाद, बीच में सेवा और नीचे सेना, सदभाव पूवर्क संवाद के माध्यम से सैद्धांतिक रूप से निर्णय लें।