करोड़ों रुपये का घोटाला कराने वाले डीपीएम की नौकरी पर लटकी तलवार, 48 सचिव भी पाए गए हैं दोषी

Scam in Gram Panchayats डीपीएम के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर कराई गई जांच में छह सहायक विकास अधिकारी और 48 सचिव दोषी पाए गए हैं। इन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई लंबित है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 09:56 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 09:56 AM (IST)
करोड़ों रुपये का घोटाला कराने वाले डीपीएम की नौकरी पर लटकी तलवार, 48 सचिव भी पाए गए हैं दोषी
छह ए़डीओ और 48 सचिवों पर अभी और भी होनी है कार्रवाई।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Scam in Gram Panchayats : प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने के बाद लाखों रुपये की धनराशि निकाले जाने के लिए पूर्व जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश कुमार सिंह के साथ डीपीएम सलीम अहमद भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि डोंगल खुलवाने में इन दोनों की ही अहम भूमिका रही है। लेकिन, डीपीएम के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर कराई गई जांच में छह सहायक विकास अधिकारी और 48 सचिव दोषी पाए गए हैं। इन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई लंबित है। आज इन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। ग्राम पंचायतों में क‍िया गया करोड़ों रुपये का घोटाला ज‍िले में काफी सुर्खियों में है। सभी की नजरें अब कार्रवाई पर ट‍िकी हुई हैं।

शासन से कार्रवाई होने के बाद जिले की 55 ग्राम पंचायतों के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने वाले प्रशासकों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। उप निदेशक पंचायत एसके सिंह ने जांच में दोषी पाए जाने वाले छह सहायक विकास अधिकारियों और 48 सचिवों को आरोप पत्र जारी कर दिए हैं। इनका जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। जांच के दाैरान प्रकाश में आया है कि प्रशासकों के चार महीने के कार्यकाल में जिले में कुल 39 करोड़ 85 लाख 90 हजार 885 रुपये मनमाने तरीके से खर्च किए गए। इस दौरान प्रशासकों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने कार्यकाल खत्म होने के बाद भी करीब एक करोड़ रुपये से अधिक के बिल पास कर दिए। जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक प्रियदर्शी ने जब इस संबंध में जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) सलीम अहमद से स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने बताया कि पूर्व जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश कुमार सिंह के मौखिक आदेश पर प्रशासकों के डोंगल फिर से रजिस्टर्ड कराए थे। इसके बाद ही प्रशासकों ने ग्राम निधि के खातों से धनराशि निकाल ली। लेकिन, उन्होंने गैरकानूनी काम क्यों किया। इसका जवाब उनके पास नहीं है। डीपीआरओ ने जांचों के दौरान मिली खामियाें को दर्शाकर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट उप निदेशक पंचायत को सौंप दी थी। लेकिन, उप निदेशक पंचायत ने साक्ष्य के साथ भेजने को कहकर जांच रिपाेर्ट को वापस कर दिया था। अब डीपीआरओ के साक्ष्य के साथ रिपोर्ट भेजने के बाद उप निदेशक पंचायत एसके सिंह ने जांच में दोषी पाए जाने वाले सचिवों और सहायक विकास अधिकारियों को आरोप पत्र जारी कर दिए हैं। आरोप पत्र में उनके जवाब मांगा गया है। लेकिन, आरोपित जवाब देने से कतरा रहे हैं। उन्हें लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन, अब शासन से कार्रवाई हो गई है। इसके बाद स्थानीय स्तर से कराई गई जांचों में भी कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है। पूर्व जिला पंचायत राज अधिकारी पर तो निलंबन की कार्रवाई शासन से ही हो चुकी है। लेकिन, जिला परियोजना प्रबंधक( डीपीएम) सलीम अहमद के खिलाफ अभी कार्रवाई नहीं हुई है। 

मंडलायुक्त करेंगे कार्रवाई की समीक्षा : पंचायतों के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने वालों पर कार्रवाई किए जाने में सुस्ती बरतनी अधिकारियों को महंगी पड़ सकती है। मंडलायुक्त आन्‍जनेय कुमार सिंह इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं। सोमवार को वह इस मामले में होने वाली कार्रवाई की समीक्षा भी कर सकते हैं। इसे लेकर पंचायती राज विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है।

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