Sai Baba Statue : नदी के किनारे रेत से निकली साईं बाबा की मूर्ति, देखने के लिए उमड़ पड़ा लोगों को हुजूम
Sai Baba Statue कोसी नदी का जलस्तर बेहद बढ़ गया था। इस दौरान पट्टीकलां कोसी नदी रेलवे पुल के पास एक चौंकाने वाला नजारा सामने आया। रेलवे कर्मचारी रमेश गौड़ कोसी पुल संख्या 104 की देखरेख कर रहे थे। अचानक उनकी नजर कोसी नदी किनारे रेत पर पड़ी।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Sai Baba Statue : रामपुर के मसवासी के पट्टीकलां कोसी घाट पर कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से रेत में बहकर आई साईं बाबा की मूर्ति को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने मूर्ति को निकलवा कर मंदिर में स्थापित कराया है। माना जा रहा है कि किसी मंदिर के किनारे स्थापित यह मूर्ति बाढ़ के पानी से बहकर यहां पहुंच गई।
बीते दिनों हुई बारिश के बाद कोसी नदी का जलस्तर बेहद बढ़ गया था। इस दौरान पट्टीकलां कोसी नदी रेलवे पुल के पास एक चौंकाने वाला नजारा सामने आया। रेलवे कर्मचारी रमेश गौड़ कोसी पुल संख्या 104 की देखरेख कर रहे थे। अचानक उनकी नजर कोसी नदी किनारे रेत पर पड़ी। उन्हें रेत के अंदर कुछ दबे होन की आशंका हुई। उन्होंने पास जाकर देखा तो वह साईं बाबा की मूर्ति थी। मूर्ति का मुंह कपड़े से ढका हुआ था। देखते ही देखते कोसी नदी किनारे मूर्ति को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों ने साईं बाबा की मूर्ति को निकालने का बेहद प्रयास किया। लेकिन रेत में धंसने एवं उसका वजन ज्यादा होने के कारण लोग मूर्ति नहीं निकाल पाए। वहीं पट्टीकलां महिला विकास समिति की अध्यक्ष लज्जा सैनी ने जेसीबी बुलवाकर साईं बाबा की मूर्ति को रेत से निकलवाया। बताते हैं कि साईं बाबा की मूर्ति लगभग छह फीट ऊंची थी। श्रद्धालुओं ने साईं बाबा की मूर्ति को नहलाकर पूजा अर्चना कर ढोल नगाड़ों के साथ जयकारें लगाते हुए जोगेश्वर शिव मंदिर में स्थापित किया है।
कोसी के कटान से गिरी मंदिर में लगी मूर्ति : ग्राम मदारपुर में ग्रामीणों की लाख कोशिश के बाद भी वे मंदिर को कोसी के कहर से नहीं बचा पाए। मंदिर को कटान से रोकने के लिए ग्रामीणों ने कट्टों में मिट्टी भरकर बांध बांधी, बड़े पेड़ काटकर लगाए लेकिन कोसी की तेज धार के आगे कुछ भी नहीं टिक सका। ग्रामीणों की मेहनत बेकार गई। मंदिर की मूर्ति गिरने से लोगों ने प्रशासन और विधायक के ख़िलाफ़ गुस्से का इज़हार किया। आरोप लगाया कि अगर मंदिर के पास पत्थर पड़ जाता तो ये दिन नहीं नहीं देखना पड़ता है।