सपा की झोली में आई रामपुर सीट, आजम लड़ सकते हैं चुनाव
सपा-बसपा गठबंधन ने रामपुर लोकसभा सीट सपा की झोली में डाल दी है। अब सपा के कद्दावर नेता आजम खां खुद चुनाव लड़ सकते हैं या बेटे को मैदान में उतार सकते हैं।
मुस्लेमीन, रामपुर: सपा-बसपा गठबंधन ने रामपुर लोकसभा सीट सपा की झोली में डाल दी है। अब सपा के कद्दावर नेता आजम खां खुद चुनाव लड़ सकते हैं या बेटे को मैदान में उतार सकते हैं। इसके साथ ही चुनावी सर्र्गिमयां तेज हो गई हैं। कांग्रेस हाईकमान ने भी गुरुवार को अपने प्रत्याशी के चयन के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी को रामपुर भेजकर पार्टीजनों की राय जानी।
लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दल तैयारियों में जुटे हैं। भले ही उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, लेकिन संगठन की ओर से तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। गुरुवार को सपा बसपा गठबंधन ने प्रदेशभर में सीटों का बंटवारा कर दिया। इसमें रामपुर सीट सपा के खाते में आई। हालांकि यह पहले से ही तय माना जा रहा था। दरअसल रामपुर में सपा के मुकाबले बसपा कमजोर है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी सपा प्रत्याशी नसीर अहमद खां मुकाबले में रहे थे। वह 335181 मत पाकर करीब 23 हजार वोटों से हार गए थे, जबकि बसपा प्रत्याशी हाजी अकबर हुसैन को मात्र 81006 वोट ही मिल सके थे। जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं और इनमें से तीन पर सपा का कब्जा है। दो सीटे भाजपा के पास हैं। रामपुर में बसपा का एक भी विधायक नहीं है। इन हालात में पहले से यह माना जा रहा था कि रामपुर लोकसभा सीट सपा के खाते में ही जाएगी। राजनीति के गलियारों में यह भी चर्चा है कि इस बार सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां खुद लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अगर वह नहीं लड़े तो जिसे चाहेंगे, उसे चुनाव लड़ाएंगे। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के समर्थक चाहते हैं कि वह चुनाव लड़ें। दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला जिले में सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। उन्हे एक लाख छह हजार वोट मिले थे। आजम खां रामपुर शहर से नौ बार विधायक बन चुके हैं। राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी राज्यसभा सदस्य हैं। सूबे में जब भी सपा की जब सरकार बनी है तब आजम खां कई-कई विभागों के मंत्री रहे हैं। लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी कौन होगा, इसे लेकर आजम खां अभी कुछ नहीं बोल रहे हैं।
रामपुर में सबसे ज्यादा मुसलमान
रामपुर देश का ऐसा जिला है, जिसमें जम्मू कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। यहां 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। यही कारण है कि यहां सांसद और विधायक भी ज्यादातर मुसलमान ही बनते रहे हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे क्रांतिकारी नेता रामपुर से पहले सांसद चुने गए, जो देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। महान क्रांतिकारी मौलाना मोहम्मद अली जौहर का बचपन भी रामपुर की गलियों में बीता। आज भी रामपुर के मुस्लिम लीडर देशभर में अपनी पहचान बनाए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का आशियाना भी रामपुर में हैं। वह रामपुर से ही वोटर हैं। श्री नकवी पहले ऐसे मुसलमान हैं जो भाजपा के टिकट पर सबसे पहले लोकसभा सदस्य बने। उनसे पहले देश में कोई मुसलमान भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव नहीं जीता था। 1998 के लोकसभा चुनाव में वह रामपुर से सांसद बने थे। रामपुर का नवाब खानदान भी सियासत में बुलंदी पर रहा है। इस परिवार के सदस्य नौ बार सांसद चुने गए हैं। बेगम नूरबानो रामपुर से दो बार लोकसभा सदस्य चुनीं गईं। इस बार भी वह चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संजय कूपर के भी कांग्रेस प्रत्याशी बनने को लेकर चर्चा है। पिछले लोकसभा चुनाव में रामपुर में भाजपा के डा. नैपाल सिंह सांसद चुने गए थे। उन्हे सबसे ज्यादा 358616 वोट मिले थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण इस बार अपने बेटे सौरभ पाल ङ्क्षसह को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। भाजपा से पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सैना के बेटे भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक आकाश सक्सैना भी टिकट की मांग कर रहे हैं। इनके अलावा शाहबाद की विधायक राजबाला के पति दिलीप लोधी, प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल ङ्क्षसह के पुत्र प्रशांत सिंह भी टिकट मांग रहे हैं। रामपुर से दस साल तक सांसद रहीं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के भी चुनाव लडऩे की चर्चा है, लेकिन वह किस पार्टी से लड़ेंगी, अभी यह भी तय नहीं है।
लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
डा. नैपाल सिंह भाजपा 358616
नसीर अहमद खां सपा 335181
नवाब काजिम अली खां कांग्रेस 156460
हाजी अकबर हुसैन बसपा 81006