काजू, पिस्ता और बादाम खाकर उड़ान भर रहे रामपुर के कबूतर, प्रतियोगिता में जीत रहे बाइक और कार

Rampur Pigeons News जो कबूतर छह घंटे से पहले बैठ जाता है वह आउट हो जाता है। अगर कोई कबूतर 12 घंटे बाद बैठता है तो वह भी आउट माना जाता है। जो कबूतर नियम के मुताबिक उड़ान भरते हैं उन सबके घंटे जोड़ लिए जाते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 10:49 AM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 10:49 AM (IST)
काजू, पिस्ता और बादाम खाकर उड़ान भर रहे रामपुर के कबूतर, प्रतियोगिता में जीत रहे बाइक और कार
45 कबूतर ऐसे हैं जो उड़ान के लिए तैयार किए गए हैं।

मुरादाबाद [मुस्लेमीन]। Rampur Pigeons News : नवाबों के शहर रामपुर में कबूतर भी काजू, पिस्ता और बादाम खा रहे हैं। देसी घी और मक्खन लगी रोटी खाकर उड़ान भर रहे हैं। इन दिनों यहां कबूतरों की उड़ान प्रतियोगिताएं चल रहीं हैं, जिसमें कबूतर पूरा दिन आसमान में उड़ रहे हैं। इस प्रतियोगिता में बाइक और कार भी इनाम में दी जाती है। आजादी के बाद नवाबी दौर भले ही नहीं रहा, लेकिन नवाबी शौक आज भी जिंदा हैं। यहां नवाबी दौर से ही कबूतरबाजी का बड़ा शौक रहा है। आज भी यहां ऐसे शौकीनों की कमी नहीं है। कई लोगों के पास पांच-पांच सौ कबूतर हैं। कबूतरों की उड़ान प्रतियोगिता भी कराई जाती है, जिसमें जीतने वाले को इनाम में कार और मोटरसाइकिल मिलती है। अब यहां कबूतरबाजी प्रतियोगिताएं चल रहीं हैं। इसके लिए कबूतरों को तैयार किया जा रहा है। उन्हें काजू, बादाम और पिस्ता के साथ ही देसी घी और मक्खन की रोटी खिलाई जा रही है। उड़ान भरने वाले कबूतरों को मछली के कैपसूल भी खिलाए जा रहे हैं। प्रतियोगिता को सऊदी अरब, दुबई और बहरीन आदि देशों में भी लोग इंटरनेट मीडिया के जरिये देखेंगे।

रामपुर में 14 पीजन फ्लाइंग क्लब भी हैं, जो कबूतरों की उड़ान प्रतियोगिता कराते हैं। पूर्व विधायक अफरोज अली खां के भाई इमरान खां भी कबूतर पालते हैं। बताते हैं कि उनके कबूतर आल यूपी टूर्नामेंट में भी शामिल हुए हैं। उन्होंने 201 कबूतर उड़ाए, जो 535 घंटे उड़े, जबकि उनके मुकाबले विजयी रहे ग्वालियर के वीरेंद्र यादव के कबूतर 612 घंटे आसमान में रहे। यह प्रतियोगिता 20 नवंबर तक चलेगी, जिसमें 28 शहरों के कबूतर शामिल हो रहे हैं। प्रतियोगिता में शामिल कबूतर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक उड़ाए जाते हैं। इनमें जो कबूतर छह घंटे से पहले बैठ जाता है, वह आउट हो जाता है। अगर कोई कबूतर 12 घंटे बाद बैठता है तो वह भी आउट माना जाता है। जो कबूतर नियम के मुताबिक उड़ान भरते हैं, उन सबके घंटे जोड़ लिए जाते हैं। इसी से नतीजा सामने आता है। कबूतरों की पहचान के लिए उनके पंख पर मुहर भी लगाई जाती है। जिस स्थान पर कबूतर उड़ाए जाते हैं, वहीं निर्णायक मंडल के लोग पहुंचते हैं।

कबूतरों के लिए बने हैं कमरे : नालापार निवासी रामपुर गन्ना विकास परिषद के पूर्व चेयरमैन बाबर खां लंबे समय से कबूतर पाल रहे हैं। उनके पास पांच सौ कबूतर हैं। उनके मकान की तीसरी मंजिल पर कबूतरों के लिए तीन कमरे बने हैं। इनके आगे कमरों के आकार का ही लोहे के जाल का बाड़ा बना है। वह कबूतरों को गेहूं, गोला और बाजरे से बना दाना खिलाते हैं, लेकिन उड़ाने के लिए तैयार किए जाने वाले कबूतरों को ड्राई फ्रूट भी खिला रहे हैं। पिस्ता, बादाम, चारों मगज (खरबूजा, तरबूज, खीरा व लोकी की गिरि) मुनक्का, काला जीरा, दखनी मिर्च, काली मिर्च को पीसकर जाफरान व मक्खन में मिलाया जाता है। इसमें आटे की छानस भी मिलाई जाती है। इसके बाद इसकी छोटी- छोटी गोली बनाई जाती हैं, जो कबूतरों को खिलाई जाती हैं। उनके पास 45 कबूतर ऐसे हैं जो उड़ान के लिए तैयार किए गए हैं। बाबर खां बताते हैं कि रामपुरी गहरे नस्ल के कबूतर मशहूर हैं। रामपुरी गजरे, रामपुरी लाल अंबरसरे और रामपुरी भूरे कबूतर भी हैं। वह हर साल कबूतर उड़ान प्रतियोगिता कराते हैं। इसमें कार, फ्रिज और बाइक भी इनाम में दी जाती है। इंटरनेट मीडिया के जरिये सऊदी अरब व दुबई आदि देशों के लोग भी प्रतियोगिता को देखते हैं।

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