Rampur Nawab Family : संपत्ति बंटवारे में आपत्ति पर आपत्ति दाखिल कर रहे नवाब खानदान के लोग

रामपुर नवाब खानदान में संपत्ति बंटवारे को लेकर 49 साल से मुकदमेबाजी चल रही है। दो पक्षकारों की तो मौत भी हो चुकी है फिर भी बंटवारा नहीं हो पा रहा है। दरअसल नवाब खानदान के लोग अदालत में आपत्ति पर आपत्ति दाखिल किए जा रहे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 05:15 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 05:15 PM (IST)
Rampur Nawab Family : संपत्ति बंटवारे में आपत्ति पर आपत्ति दाखिल कर रहे नवाब खानदान के लोग
बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो अवधि निर्धारित की थी, वह भी पूरी हो सकी है।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। रामपुर नवाब खानदान में संपत्ति बंटवारे को लेकर 49 साल से मुकदमेबाजी चल रही है। दो पक्षकारों की तो मौत भी हो चुकी है, फिर भी बंटवारा नहीं हो पा रहा है। दरअसल, नवाब खानदान के लोग अदालत में आपत्ति पर आपत्ति दाखिल किए जा रहे हैं। बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो अवधि निर्धारित की थी, वह भी पूरी हो सकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को शरीयत के हिसाब से बंटवारा करने के आदेश दिए थे। बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी गई। उन्होंने संपत्ति के सर्वे और मूल्यांकन के लिए एडवोकेट कमिश्नर तैनात कर दिए थे। जिन्होंने सारी संपत्ति का सर्वे और मूल्यांकन कर अदालत में रिपोर्ट सौंप दी। कुल संपत्ति की कीमत 2600 करोड़ से ज्यादा आंकी गई। सुलह समझौते से बंटवारा कराने के मकसद से जिला जज ने स्पेशल जज को मध्यस्थ भी नियुक्त किया। उन्होंने पक्षकारों में आपसी सहमति बनवाने का प्रयास किया। लेकिन, सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद जिला जज ने 15 जुलाई को विभाजन योजना पेश कर दी। इससे भी पक्षकार संतुष्ट नहीं हुए। 30 जुलाई को मुहम्मद अली खान और उनकी बहन निगहत बी की ओर से आपत्ति दाखिल कर दी गई। उन्होंने कहा कि बंटवारा करने का अधिकार जिला जज के बजाय हाई कोर्ट को है। अन्य पक्षकारों ने आपत्ति दाखिल करने के लिए और समय मांग लिया। इसपर अदालत ने नौ अगस्त तक का समय दे दिया। इससे पहले भी कई बार आपत्ति पर आपत्ति दाखिल होती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को दिसंबर 2020 तक बंटवारा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अदालतें लंबे समय तक बंद रहीं और बंटवारा नहीं हो सका। इसके बाद छह माह का समय और दिया गया, जो 30 जून को पूरा हो गया। अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से समय की मांग की गई है।

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