Indian Railways : सिग्नल खराब होने से पहले ही लग जाएगा पता, रेलवे कंट्रोल रूम को 24 घंटे पहले मिलेगी सूचना
Railway signal detector device रियल टाइम मानीटरिंग सिस्टम जल्द ही रेलवे का हिस्सा बन जाएगा। यह सिस्टम सिग्नल में खराबी आने से पहले की इसकी सूचना रेलवे कंट्रोल रूम को भेज देगा। इस तकनीक के माध्यम से बाधा रहित ट्रेन संचालन आसान हो जाएगा।
मुरादाबाद [प्रदीप चौरसिया]। Railway signal detector device : मुरादाबाद रेल मंडल के एक इंजीनियर द्वारा तैयार रियल टाइम मानीटरिंग सिस्टम (आरटीएमएस) रेलवे का अंग बनने जा रहा है। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीसीएसओ) ने मंडल रेल प्रशासन से सिस्टम मांगा है। सिस्टम 24 घंटे पहले रेलवे कंट्रोल रूम को एसएमएस भेज देगा। रेलवे की तकनीकी टीम सिग्नल को खराब होने से पहले ही ठीक कर लेगी। यह सिस्टम हाईस्पीड ट्रेन चलाने में सहायक साबित होगा।
हाईस्पीड ट्रेन चलाने में सबसे बड़ा बाधक सिग्नल सिस्टम होता है। एकाएक खराब हो जाने से ट्रेनों का संचालन रोकना पड़ता है। मुरादाबाद रेल मंडल के दूरसंचार एवं संकेत विभाग के इंजीनियर नितिन कुमार ने पिछले साल आरटीएमएस तैयार किया था, जिसको मुरादाबाद के पास के स्टेशन दलपतपुर स्टेशन पर लगाया गया है, जिससे सिग्नल व प्वाइंट को जोड़ा गया है। सिग्नल में लगे बल्ब या मोटर खराब होने से पहले ही इस सिस्टम को पता चल जाएगा। इसके बाद एसएमएस द्वारा कंट्रोल रूम व स्टेशन मास्टर को इसकी जानकारी मिल जाएगी। मंडल रेल प्रशासन आरटीएमएस को भारतीय रेल का अंग बनाने के लिए एक साल से उपयोग कर रहा है और इसकी लगातार रिपोर्ट आरडीएसओ को भेजी जा रही है। अध्ययन करने के बाद आरडीएसओ ने मुरादाबाद मंडल से सिस्टम को मांगा है।
एक लाख रुपये के खर्च में तैयार किया गया सिस्टम : इस सिस्टम को तैयार करने में एक लाख रुपये खर्च हुए हैं। इंजीनियर ने बाजार में उपलब्ध डिवाइस खरीदी और उससे जोड़कर रियल टाइम मानीटरिंग सिस्टम तैयार किया है। मंडल रेल प्रबंधक तरुण प्रकाश ने बताया कि मुरादाबाद मंडल द्वारा तैयार आरटीएमएस को आरडीएसओ ने मांगा है। आरडीएसओ की स्वीकृति मिलते ही यह सिस्टम देश भर के रेलवे में लगाया जाएगा।
सिस्टम में अंतर : यार्ड में लगे सिग्नल में भूमिगत केबिल की खराबी या फिर बरसात में पानी चले जाने या कट जाने पर खराबी का पता चलता है। इसको रेलवे की टीम पता चलने पर ठीक करती है। सिस्टम में सिग्नल के बल्व की रोशनी कम होने, मोटर के धीरे-धीरे घूमने की जानकारी सिस्टम 24 घंटे पहले देगा। इससे सिग्नल को खराब होने से पहले ही ठीक किया जा सकेगा।
24 घंटे कर्मचारी करने पड़ते हैं तैनात : वर्तमान में छोटे स्टेशन पर सिग्नल सिस्टम की निगरानी के लिए 24 घंटे में तीन कर्मचारियों को तैनाती होती है। इस सिस्टम को लगाने के बाद छोटे स्टेशनों पर कर्मचारी रखने की आवश्यकता नहीं होगी। सिस्टम द्वारा 24 घंटे पहले सूचना मिल जाने पर बड़े स्टेशनों के कर्मचारी जाकर खराबी ठीक कर सकेंगे।
छोटे स्टेशनों किया जाता ट्रायल : रेलवे द्वारा कोई भी नया उपकरण छोटे स्टेशनों पर ट्रायल या पायलट प्रोजेक्ट के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए आरटीएमएस दलपतपुर स्टेशन पर लगाया गया है। मंडल मुख्यालय से दलपतपुर सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन है। मंडल मुख्यालय की टीम आरटीएमएस पर लगातार निगरानी रखती है। ट्रायल के दौरान सिस्टम खराब होता है, तो ट्रेन संचालन प्रभावित नहीं होगा। बड़े स्टेशन पर इस नए उपकरण को ट्रायल का पायलट प्रोजेक्ट में सफल होने के बाद चलाया जाता है।