क्या आप जानते हैं, रेलवे को भी स्टेशन पर ट्रेन के ठहराव को खर्च करने होते हैं रुपये, जानें कितना आता है खर्च

Indian Railway News जैसे किसी विमान को एयरपोर्ट पर लैंड कराने के लिए संबंधित एयरलाइन कंपनी को एयरपोर्ट अथारिटी को निर्धारित फीस देनी होती हैै। वैसे ही रेलवे को भी ट्रेन रोकने पर खर्च करना पड़ता है। इसलिए रेलवे अब ट्रेनों के स्टापेज घटाने की तैयारी में है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 14 Jan 2022 09:16 AM (IST) Updated:Fri, 14 Jan 2022 05:56 PM (IST)
क्या आप जानते हैं, रेलवे को भी स्टेशन पर ट्रेन के ठहराव को खर्च करने होते हैं रुपये, जानें कितना आता है खर्च
लक्सर के बजाय बाइपास होकर हरिद्वार जाएंगी ट्रेनें, 20 से कम यात्री वाले स्टेशनों पर होंगे स्टापेज खत्म

मुरादाबाद, (प्रदीप चौरसिया)। Indian Railway News : जैसे किसी विमान को एयरपोर्ट पर लैंड कराने के लिए संबंधित एयरलाइन कंपनी को एयरपोर्ट अथारिटी को निर्धारित फीस देनी होती हैै। वैसे ही रेलवे को भी ट्रेन रोकने पर खर्च करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेनें बंदर रहने से रेलवे को काफी नुकसान हुआ है। इसी घाटे को कम करने के लिए रेलवे अब इस खर्चे को कम करने की तैयारी में है। इसके लिए रेलवे ने ट्रेनों के स्टापेज घटाने की योजना तैयार की है।कम यात्रियों वाले स्टेशनों पर ट्रेनों का स्टापेज खत्म किया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली व अमृतसर से हरिद्वार जाने वाली ट्रेनों को लक्सर स्टेशन के बजाय बाइपास होकर चलाया जाएगा।

कोरोना संक्रमण के बाद रेलवे की आर्थिक स्थिति में गिरावट आयी है। हालांकि घाटे को कम करने के लिए माल ढुलाई पर रेलवे अधिक ध्यान दे रहा है। साथ ही छोटे-छोटे खर्च पर कटौती करना शुरू कर दिया है। रेलवे ने इस बार कैलेंडर तक प्रिंट नहीं कराया है। इसी तरह के अन्य खर्च पर कटौती करना शुरू कर दिया है। इसी के साथ ट्रेनों को बिना गति बढ़ाए कम समय से गंतव्य तक पहुंचाने के लिए काम शुरू कर दिया है। राजनीतिक दबाव के कारण कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज छोटे-छोटे स्टेशन पर किया गया है, जहां से उस ट्रेन में एक से दो यात्री सवार होते हैं।

छोटे-छोटे स्टेशन पर रुकने से ट्रेनें देरी से पहुंचती है। उदाहरण के लिए मुरादाबाद रेल मंडल में जम्मूतवी से कोलकता के बीच चलने वाली जम्मूतवी एक्सप्रेस मुरादाबाद से लखनऊ के बीच 15 स्टेशनों पर रुकती है। जबकि सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनें अधिकतम चार स्टेशन पर रुकती है। सियालदाह एक्सप्रेस सीबी गंज, पीताम्बरपुर, तिलहर संडिला जैसे स्टेशन एक से दो टिकट की बिक्री होती है। इस तरह के मंडल में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का छोटे स्टेशनों पर स्टापेज है।

रेलवे के अनुसार एक स्टेशन पर ट्रेनों के रुक कर चलने पर 25 हजार रुपये खर्च होते हैं, जिसमें बिजली, डीजल, कर्मचारियों वेतन, सफाई, यात्री सुविधा आदि शामिल है। रेलवे प्रशासन जिस स्टेशन से बीस से कम यात्री सवार होते हैं, वैसे स्टेशनों से स्टापेज समाप्त करने जा रहा है। मुरादाबाद रेलवे मंडल में 35 से अधिक स्टेशन है, जहां एक्सप्रेस ट्रेनें रुकी है और औसत एक से दो टिकट की बिक्री होती है। रेलवे स्टापेज खत्म कर घाटे को कम करने के साथ कम समय में ट्रेनों क गंतव्य स्थान पर पहुंचाने में सफल होंगे।

अमृतसर या दिल्ली से हरिद्वार, देहरादून जाने वाली अधिकांश ट्रेनों को लक्सर स्टेशन पर रुकना पड़ता है, जहां इंजन को काट कर आगे से पीछे लाना पड़ता है और तब ट्रेनों का संचालन किया जाता है। रेलवे को इस पर 50 हजार रुपये खर्च करना पड़ता है। रेल प्रशासन ट्रेनों को लक्सर लाने के बजाय बाइपास रेल मार्ग से ट्रेनों का संचालन करेगा। इसके बाद ट्रेनें सावा घंटे बजाय 25 मिनट में लक्सर बाइपास होकर हरिद्वार पहुंच जाएगी।

मुख्यालय की सूचना रेलवे के वाणिज्य विभाग व परिचालन विभाग कम टिकट बिक्री होने वाले स्टेशनों का चयन करना शुरू कर दिया है। इसकी सूची तैयार कर उत्तर रेलवे मुख्यालय भेजा जाएगा। रेलवे बोर्ड के स्वीकृति के बाद स्टापेज खत्म किया जाएगा।

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