सार्वजनिक शौचालय बना नहीं, समूह को किया भुगतान
जागरण संवाददाता मुरादाबाद स्वच्छ भारत अभियान के तहत आने वाली धनराशि का दुरुपयोग करने व
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : स्वच्छ भारत अभियान के तहत आने वाली धनराशि का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए अफसर बचाने में जुट जाते हैं। यही वजह है कि शौचालयों के निर्माण को लेकर प्रधान और सचिव संजीदा नहीं हैं। चार महीने में प्रशासकों ने ग्राम पंचायतों के धन को खातों से निकालकर खूब मनमानी की है। विकास खंड बिलारी के नसीरपुर गांव में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण पूरा नहीं हो पाया। इससे पहले ही देखरेख करने वाले स्वयं सहायता समूह को भुगतान कर दिया गया। यह कोई नई बात नहीं है। ऐसा जिले के और भी गांवों में हुआ है, लेकिन जांच कराने वाले अफसर भी कहीं न कहीं इस गोलमाल से जुड़े हैं।
ब्लाक बिलारी के नसीरपुर गांव में शौचालय अभी पूरा बनकर तैयार नहीं हुआ है। इसकी देखरेख के लिए समूह का चयन हो चुका है। नियम यह है कि शौचालय की जियो टैगिग के बिना इसकी देखरेख का काम शुरू नहीं होगा। इसके बाद ही शौचालय को स्वयं सहायता समूह को सौंपा जाएगा। जियो टैगिग के बाद ही समूह को देखरेख के लिए मिलने वाली धनराशि का भुगतान होना है, लेकिन वहां मनमानी करते हुए समूह को भुगतान पहले ही कर दिया गया। इसी तरह ग्राम पंचायतों में बनने वाले सार्वजनिक शौचालयों में अव्वल ईंट के स्थान पर पीली लगाई जा रही हैं। शौचालयों के निर्माण के लिए प्रशासकों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा धनराशि निकाली गई। कुंदरकी विकास खंड में वित्तीय वर्ष के अंत के दिनों में रोजाना लाखों रुपये ग्राम निधि से निकाले गए। इसी तरह डिलारी और बिलारी में ग्राम निधि से मोटी धनराशि निकाली है। लेकिन, अफसर ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों और प्रशासकों के साथ खड़े रहे, क्योंकि उनकी भी कहीं न कहीं इन घपलों में भूमिका रही है।
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घपले की जांच शुरू, कार्रवाई होनी तय
डिलारी विकास खंड ग्राम पंचायत फरीदपुर भैंडी के ग्रामीणों ने पूर्व प्रधान एवं सचिव पर स्वच्छ भारत मिशन की धनराशि का दुरुपयोग करने के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। इस मामले में कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है। जालम सिंह, साधू सिंह, महेंद्र सिंह, बलवीर सिंह, रविकुमार, राजपाल, नीरज, प्रशांत शर्मा, अतर सिंह आदि ने डीएम से शिकायत करके बताया कि शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थियों को नियमानुसार धनराशि अहरित नहीं की गई। लाभार्थियों के खाते में शौचालयों की धनराशि स्थानांतरित करने में भी खेल हुआ। पांच से सात हजार रुपये तक की धनराशि ही लाभार्थियों को मिली है। बारह हजार में से बाकी धनराशि धमकाकर वापस ले ली गई है। धनराशि कम मिलने की वजह से लाभार्थियों के शौचालय पूरी तरह से बन नहीं सके हैं। इस मामले में जांच शुरू हो चुकी है। मामले में कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है।
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डीपीआरओ के तबादले के बाद मुझे चार्ज मिला है। इसलिए यह प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं आया है। सोमवार को नए डीपीआरओ आ सकते हैं। नहीं आते हैं तो इन प्रकरणों के बारे में पता कराकर आगे की कार्रवाई कराई जाएगी।
-सुनील कुमार सिंह, प्रभारी डीपीआरओ