आलू के दाम आसमान पर, गड़बड़ाया रसोई का बजट
आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। इसलिए इसकी खपत भी सभी वर्गों में होती है। आलू के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। काफी लोग तो आलू के सहारे ही रसोई चला लेते हैं। इस सीजन में आलू के दाम दिनों दिन चढ़ते जा रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। इसलिए इसकी खपत भी सभी वर्गों में होती है। आलू के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। काफी लोग तो केवल आलू के सहारे ही अपनी रसोई चला लेते हैं। परंतु इस सीजन में आलू के दाम दिनों दिन चढ़ते जा रहे हैं। पुराना आलू 45 और नया साठ रुपये के भाव बिक रहा है। इस पर सामान्य वर्ग के लोग प्रभावित हैं। मुहल्ला अब्दुल्ला की गृहणी जुबैदा बेगम का कहना है कि आलू के बिना रसोई अधूरी मानी जाती है। लगभग प्रतिदिन ही आलू की सब्जी बनाई जाती है। समझ में नहीं आ रहा कि इस समय आलू के दाम आसमान छू रहे हैं। इसको नियंत्रित करने की जरूरत है। शांतिपुरम बिलारी की गृहणी सुनीता शर्मा कहती है कि समझ में नहीं आता आम आदमी के खाने की चीज पर ही क्यों महंगाई का पहाड़ टूटता है। इससे हमारी रसोई का बजट बिगड़ रहा है। कोरियान वाल्मीकि बस्ती की राधा रत्नाकर कहती हैं की आलू हर घर में एक लोकप्रिय सब्जी है। इसके दाम यदि आम आदमी की पकड़ में रहेंगे तो हर कोई रोटी के साथ सब्जी का जायका ले सकता है। परंतु अब आलू खरीदने से पहले सोचना पड़ रहा है। ज्योति कश्यप का कहना है कि आलू का दैनिक प्रयोग के अलावा हमारे पर्व त्योहारों एवं व्रत के आहार के रूप में भी विशेष स्थान है अर्थात बिना आलू के हमारी दैनिक चर्या मानों अधूरी है। इसलिए आलू के दाम मुनासिब रहने चाहिए। वर्तमान में आलू के दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं जिससे खरीदने में सोचना पड़ रहा है।