क‍िसान आंदोलन में दो क‍िसानों की मौत के बाद रामपुर पहुंची दो राज्‍यों की पुलिस, प्रदर्शन

Police of UP-Uttarakhand in Nawabganj रामपुर ज‍िले के बिलासपुर क्षेत्र के दो किसानों की आंदोलन में मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने नवाबगंज गांव में डेरा डाल दिया है। वहीं दूसरी ओर फोर्स को देखकर स‍िख समाज के लोगों ने प्रदर्शन भी क‍िया।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 02:38 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 03:01 PM (IST)
क‍िसान आंदोलन में दो क‍िसानों की मौत के बाद रामपुर पहुंची दो राज्‍यों की पुलिस, प्रदर्शन
पुलिस फोर्स के साथ नवाबगंज पहुंचे अफसर, सिख संगत ने किया विरोध

मुरादाबाद, जेएनएन। Police of UP-Uttarakhand in Nawabganj। रामपुर ज‍िले के बिलासपुर क्षेत्र के दो किसानों की आंदोलन में मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने नवाबगंज गांव में डेरा डाल दिया है। अफसरों ने सिखों के धार्मिक गुरुओं से बात करने का प्रयास किया। लेकिन, भारी मात्रा में फोर्स को देख सिख संगत भड़क गई और प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

बिलासपुर के दो सिख किसानों की दिल्ली आंदोलन में मौत हो चुकी है। पहले कश्मीर सिंह ने दिल्ली में आंदोलन के दौरान आत्महत्या कर ली थी, जबकि गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान नवरीत सिंह की मौत हो गई। बुधवार को नवरीत सिंह का अंतिम संस्कार भी शांतिपूर्वक हो गया। गुरुवार को रामपुर के पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भारी पुलिस फोर्स के साथ नवाबगंज गांव पहुंच गए। रामपुर में पहले पुलिस अधीक्षक रहे अजय पाल शर्मा भी साथ थे। यहां बड़ा गुरुद्वारा है। क्षेत्र के तमाम सिख इससे जुड़े हैं। सिख संगत यहीं से किसान आंदोलन में भाग ले रही है। बाबा अनूप सिंह आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

अधिकारियों का कहना था कि वे बाबा अनूप सिंह से बात करने आए हैं, जबकि सिख संगत का कहना था कि अगर बाबा से बात करने आए तो इतनी बड़ी तादाद में फोर्स साथ क्यों लाए हैं। उन्हें लगा कि बाबा को पकड़ने के लिए पुलिस आई है। इससे वे भड़क गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। काफी देर तक हंगामा करते रहे। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। बाद में उत्तराखंड के अधिकारी चले गए, जबकि रामपुर के अधिकारी और फोर्स नवाबगंज में मौजूद है। अपर जिला अधिकारी जगदंबा प्रसाद गुप्ता ने बताया कि वे लोग बाबा अनूप सिंह से बात करने आए हैं। उत्तराखंड के अधिकारी और पूर्व पुलिस अधीक्षक कैसे पहुंचे, इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। 

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