मुरादाबाद के शैली हत्याकांड की सात साल बाद भी पुलिस नहीं खोज पाई वजह, अब फिर से शुरू हुई जांच

Moradabad Shelly Murder Case शहर के सबसे जघन्य हत्याकांड के आरोपितों को खोजने के लिए पुलिस ने एक बार फिर नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। फाइल के पुराने पन्नों को पटलने के साथ ही हर एक किरदार की बारीकी से जांच की जा रही है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 01:22 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 01:22 PM (IST)
मुरादाबाद के शैली हत्याकांड की सात साल बाद भी पुलिस नहीं खोज पाई वजह, अब फिर से शुरू हुई जांच
सात साल पहले 16 मई 2014 को शहर में चार लोगों की हत्या के तलाशे जा रहे सुराग

मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad Shelly Murder Case : शहर के सबसे जघन्य हत्याकांड के आरोपितों को खोजने के लिए पुलिस ने एक बार फिर नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। इस मामले में फाइल के पुराने पन्नों को पटलने के साथ ही हर एक किरदार की बारीकी से जांच की जा रही है। इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए कई बार टीम गठित हो चुकी है। लेकिन अभी तक हत्याकांड का पर्दाफाश नहीं हो सका। इस मामले में एक भी संदिग्ध को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। वहीं अभी तक यह भी नहीं साफ हो पाया कि हत्या की वजह क्या थी? एसएसपी बबलू कुमार के निर्देश पर सीओ सिविल लाइंस इंदु सिद्धार्थ ने इस मामले की जांच एक बार फिर से शुरू की है। सात साल पुराने इस मामले में अभी तक जितने भी विवचेक रहे हैं, उनसे पुलिस पूछताछ शुरू कर दी है। इसके साथ ही अदालत में पहुंचकर नार्कों टेस्ट से मुकरने वाले संदिग्धों से भी पूछताछ करने की तैयारी पुलिस ने की है। अफसरों को भरोसा है कि नए सिरे शुरू हुई जांच में कुछ तथ्य सामने आए हैं, जिनसे आरोपितों तक पहुंचा जा सकता है।

सात वर्ष पहले 16 मई 2014 को जिला अस्पताल से सेवानिवृत सीएमएस डा. शैली उनके पति डा. ओम, ननद डॉ. रश्मि और उनकी पोती दिव्यांशी उर्फ गिन्नी का शव घर में मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची की हत्या गला दबाकर की गई थी,जबकि अन्य तीन डाक्टरों की हत्या चाकू से गला रेतकर की गई थी। हत्या करने के बाद सभी हत्यारे डाक्टर की कार चोरी करके कांठ रोड के हरथला तक आए थे। इसके बाद कार को वहीं छोड़ फरार हो गए थे। एक साथ चार हत्या होने के बाद सनसनी फैल गई थी। जिस दिन हत्याकांड को अंजाम दिया गया था,उस दिन पुलिस लोकसभा चुनाव की मतणगना कराने में व्यस्त थी। जैसे ही इस घटना की सूचना लगी,वैसे ही अफसर मतगणना स्थल से रवाना हो गए थे।

पुलिस ने मृतक डाक्टर दंपति की बेटी गुंजन अरोरा की तहरीर पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। लेकिन सात साल बीतने के बाद भी इस हत्याकांड का पर्दाफाश नहीं हो सका। इस मामले में जांच को लेकर पुलिस ने पहले दिन से ही लापरवाही बरती। घटना स्थल पर फारेंसिक टीम तक नहीं भेजी गई थी। इस हत्याकांड का एक भी फिंगर प्रिंट नहीं लिया गया,और न ही कोई सीसीटीवी फुटेज पुलिस के पास मौजूद है। एसएसपी बबलू कुमार के निर्देश पर दोबारा से पुराने सभी दस्तावेजों को चेक किया जा रहा है।

इसके साथ ही इस केस की विवेचना करने वाले सभी इंस्पेक्टर और दारोगा से पूछताछ की जाएगी। पुलिस उन लोगों के बारे में भी जानकारी एकत्र कर रही हैं,जिन लोगों ने पुलिस के सामने नार्कों टेस्ट की सहमति प्रदान कर दी थी,वहीं कोर्ट में पहुंचने के बाद वह सभी अपने बयान से पलट गए थे। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही उनके हाथ इस हत्याकांड के सुराग लग सकते हैं। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि इस पुराने मामले की दोबारा से जांच की जा रही है। जो विवेचक रहे हैं,उनसे भी जानकारी मांगी गई है। हमें उम्मीद है कि नए सिरे से जांच में कुछ तथ्य या सुबूत मिल सकते हैं। 

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