पुलिस ने नहीं खुलने द‍िए पटाखा गोदाम के ताले, फ‍िर भी पूरी रात होती रही आत‍िशबाजी

एनजीटी व शासन के आदेश की मुरादाबाद में उड़ी धज्जी। पुलिस कंट्रोल रूम को मिलती रही पटाखे फूटने की सूचनाएं। लोगों ने आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी होने की शिकायतें की। इसके बाद भी पुलिस मूकदर्शक की भूमिका में रही।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 16 Nov 2020 07:48 AM (IST) Updated:Mon, 16 Nov 2020 07:48 AM (IST)
पुलिस ने नहीं खुलने द‍िए पटाखा गोदाम के ताले, फ‍िर भी पूरी रात होती रही आत‍िशबाजी
पुलिस कंट्रोल रूम में सूचनाएं देकर लोगों ने शिकायतें भी दर्ज कराईं।

मुरादाबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) व उत्तर प्रदेश शासन के आदेशों की मुरादाबाद में खूब धज्जी उड़ाई गईं। प्रतिबंध के बाद भी दीपावली की पूरी रात मुरादाबाद में खूब पटाखे फोड़े गए। यही वजह रही कि रविवार को सुबह मुरादाबाद में प्रदूषण का स्तर रेड जोन में रहा। लोगों ने आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी होने की शिकायतें की। इसके बाद भी पुलिस मूक दर्शक की भूमिका में रही।

उच्चाधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने पटाखा गोदाम के ताले तक खुलने नहीं दिए। इसके बाद भी पटाखे फूटना प्रशासनिक मशीनरी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। मुरादाबाद प्रदेश के उन 13 शहरों की सूची में शामिल था, जहां दीपावली में पटाखा बिक्री और आतिशबाजी प्रतिबंधित कर दी गई थी। शनिवार को शाम ढलते ही पूरे मुरादाबाद में पटाखों की गूंज सुनी गई। इसको लेकर इंटरनेट मीडिया पर पुलिस की सक्रियता को फोकस करते सवाल खड़े हुए। यहां तक कि पुलिस कंट्रोल रूम में सूचनाएं देकर लोगों ने शिकायतें भी दर्ज कराईं। फिर भी पुलिस महज भाग दौड़ में उलझी रही। पुलिस पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति के आरोप लगे।

मझोला में चार गत्ता पटाखा पुलिस ने सीज किया। इसके अलावा गोदामों की निगरानी की गई। कहीं भी पटाखे नहीं बिके। पटाखा न फोड़ने का सीधा संबंध पर्यावरण संरक्षण से है। यह सिर्फ पुलिस की तत्परता व जागरूकता से संभव नहीं है। इसमें सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। सभी से आतिशबाजी न करने की अपील की गई, इसका असर भी रहा कि बीते वर्षों के सापेक्ष इस साल पटाखे कम फोड़े गए।

अमित कुमार आनंद, एसपी सिटी 

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