सावधान! हल्दी पाउडर व बेसन में मिलाया जा रहा जहरीला रंग

खाद्य प्रशासन ने शिकायत के आधार पर 10 सितंबर को दुर्गा जनरल स्टोर कोठीवाल नगर से पीसी हुई हल्दी और 28 जुलाई को नमकीन बनाने वाले सोनू निवासी ढक्का थाना मझोला से बेसन का नमूना लिया था। जो लैब में फेल हो गया।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 09:21 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:52 PM (IST)
सावधान! हल्दी पाउडर व बेसन में मिलाया जा रहा जहरीला रंग
हल्दी पाउडर व बेसन में मिलाया जा रहा जहरीला रंग

मुरादाबाद, जेएनएन। बाजार से हल्दी पाउडर या बेसन खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं, उसमें जहरीला रंग मिला हो सकता है। जिसके खाने से लोगों की मौत भी हो सकती है। गुटका में कत्था के स्थान पर गैम्बियर मिलाया जा रहा है। राजकीय जन विश्लेषण प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा है। खाद्य प्रशासन ने तीन दुकानदारों का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।

खाद्य प्रशासन ने शिकायत के आधार पर 10 सितंबर को दुर्गा जनरल स्टोर कोठीवाल नगर से पीसी हुई हल्दी और 28 जुलाई को नमकीन बनाने वाले सोनू निवासी ढक्का थाना मझोला से बेसन का नमूना लिया था। इसी तरह से ठाकुरद्वारा कस्बे के मंयक अग्रवाल के दुकान से गगन पान मसाला का नमूना लिया था। तीनों नमूनों को जांच के लिए राजकीय जनविश्लेषण प्रयोगशाला भेजा गया।

अभिहित अधिकारी बिनोद कुमार ने बताया कि तीनों की जांच रिपोर्ट मिल गया है। हल्दी पाउडर व बेसन में जहरीला रंग (टेट्राजीन) पाया गया है। गुटका में कत्था के स्थान पर गैम्बियर मिलाया हुआ था। रंग व गैम्बियर के खाने से लोगों की मौत तक भी हो सकती है। इसलिए तीनों दुकानदारों का लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। विशेष न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी की जा रही है।

धीमे जहर की तरह करते हैं काम

टेट्राजीन रंग का प्रयोग वाहन आदि की रंगाई आदि में किया जाता है। इसमें जहरीला कैमिकल मिला होता है। जिसके खाने से लीवर गुर्दा आदि खराब हो जाते हैं। यह लोगों में धीमे जहर की तरह काम करता है। इस तरह के रंग खाने वाले पदार्थों में मिलाने पर पूरी तरह से रोक है। गैम्बियर का हवाई जहाज आदि को रंगने में प्रयोग किया जाता है। जिसमें जानलेवा कैमिकल के साथ शीशा मिला होता है। जिससे लीवर क्षतिग्रस्त करने के साथ जीभ व गाल में जख्म बना देता है।

चिकित्सक की राय

टेट्राजीन रंग व गैम्बियर अखाद्य श्रेणी का रंग है। इससे खाने के किसी भी वस्तु में नहीं मिलाया जा सकता है। इस तरह के रंग के खाने से कैंसर, लीवर व किडनी को क्षतिग्रस्त करता है। इसके खाने से भूख कम लगता है। खाने में स्वाद नहीं मिलता है। बराबर पेट खराब रहता है।

डाॅ. राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल मुरादाबाद  

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