कोरोना काल में यूपी की नीति से देश भर में खुली उद्योग की राह, अब हस्तशिल्प को बढ़ाने के लिए विदेश में बनेंगे वेयर हाउस

Dainik Jagran Vimarsh पीतल नगरी मुरादाबाद की विकास यात्रा हस्तशिल्प के बगैर हो ही नहीं सकती है। इसको आगे बढ़ाने और दूसरी पीढ़ी तक हुनर को पहुंचाने के लिए भविष्य की योजनाओं पर बुधवार को मंथन हुआ। हस्तशिल्प को दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम बन रहा हस्तशिल्प निर्यात संवद्र्धन।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:04 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:04 PM (IST)
कोरोना काल में यूपी की नीति से देश भर में खुली उद्योग की राह, अब हस्तशिल्प को बढ़ाने के लिए विदेश में बनेंगे वेयर हाउस
पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में हस्तशिल्प की अहम योगदान

मुरादाबाद, जेएनएन। Dainik Jagran Vimarsh : पीतल नगरी मुरादाबाद की विकास यात्रा हस्तशिल्प के बगैर हो ही नहीं सकती है। इसको आगे बढ़ाने और दूसरी पीढ़ी तक इस हुनर को पहुंचाने के लिए भविष्य की योजनाओं पर बुधवार को मंथन हुआ। देश भर से हस्तशिल्प को दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम बन रहा हस्तशिल्प निर्यात संवद्र्धन (ईपीसीएच) इसके लिए कदम उठा रहा है। युवाओं को जोडऩे के साथ-साथ हुनर से दूसरी पीढ़ी को जोड़े रखने की दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं। ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि वर्चुअल माध्यम से कारोबार बढ़ रहा है। इसको देखते हुए अब उत्पाद को विदेश तक पहुंचाने के लिए 90 दिन का समय लगता है, अब तत्काल पहुंचाया जाएगा। इसके लिए विदेश में वेयर हाउस बनेंगे।

ईपीसीएच के महानिदेशक ने बताया कि प्रधानमंत्री ने पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। इसमें हस्तशिल्प का अहम योगदान है। कुल लक्ष्य में एक फीसद की भागीदारी है। मुरादाबाद का इसमें सबसे अहम योगदान है। 26 हजार करोड़ रुपये का हस्तशिल्प निर्यात पूरे देश में होता है। आठ हजार करोड़ मुरादाबाद से ही निर्यात हो रहा है। इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां के शिल्पकारों की कारीगरी से ही उत्पाद बिकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में यूपी सरकार के नियम एवं पालिसी से अन्य प्रदेशों में हस्तशिल्प का काम चलता रहा।

जिला उद्योग बंधु की बैठक सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गईः जागरण विमर्श के दूसरे सत्र निर्यात, उद्यम एवं रोजगार संभावनाएं एवं समस्याएं में निर्यातकों ने एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) समेत अन्य समस्याएं उठाईं। निर्यातकों ने बताया कि जिला उद्योग बंधु की बैठक सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। वहां कोई मुद्दा हल ही नहीं होता है। जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति कहें या फिर रुचि नहीं लेना, जिससे समस्याएं हल नहीं हो पा रही हैं। लघु उद्योग भारती से जुड़े निर्यातक एवं ईपीसीएच की प्रशासनिक कमेटी के सदस्य हेमंत जुनेजा ने एफएआर की समस्या को उठाते हुए कहा कि इसके इनक्रीज होने से बिल्डिंग की वर्टिकल हाइट बढ़ेगी। इससे निर्यात इंड्रस्टी आगे बढ़ेगी।

प्राधिकरण के अधिकारियों को इसमें काम करना चाहिए। शासन से मंजूरी लेनी चाहिए। पहले ही मंजूरी ले ली गई थी। इससे उन इलाकों को विकसित होने का फायदा मिलेगा। महापौर विनोद अग्रवाल को अवगत कराया। निर्यातकों ने जिला उद्योग बंधु की बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं होने पर क्षोभ जताया। प्रशासनिक कमेटी के सदस्य नीजर खन्ना और यस के चेयरमैन विशाल अग्रवाल ने भी अपनी बात रखी।

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