चीनी मिलों पर 1350 करोड़ बकाया, किसानों की बढ़ी मुश्किल Moradabad News
अभी तक जिले की चार चीनी मिलों में रानीनांगल ने 88 प्रतिशत अगवानपुर ने 61 प्रतिशत बेलवाड़ा एवं बिलारी ने 69 प्रतिशत भुगतान किया है।
मुरादाबाद,जेएनएन। चीनी मिल प्रबंधकों की उदासीनता ने गन्ना किसानों की दुश्वारियों को बढ़ा दिया है। चीनी मिल पर गन्ना बेचने के बाद किसानों को भुगतान के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। इसके बाद भी किसानों को भुगतान नहीं मिल रहा है। प्रदेश सरकार की सख्ती का असर चीनी मिल प्रबंधकों पर नहीं है। मंडल की चीनी मिलों पर किसानों के 1350 करोड़ रुपए बकाया हैं। रानीनांगल चीनी मिल भी अभी तक 88 फीसद भुगतान ही कर सकी है। गन्ने की आपूर्ति करने वाले किसानों को चीनी मिलों से अभी तक लागत भी पूरी नहीं मिली है। जिले की चार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 230 करोड़ से अधिक की धनराशि बकाया है। सबसे कम भुगतान अगवानपुर चीनी मिल ने किया है। प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर चीनी मिलों को दिये गए निर्देश बेमानी हो गए हैं। अपने ही तरीके से चीनी मिलें किसानों को भुगतान कर रही हैं और बकाए को लेकर किसान आंदोलन की राह पर हैं।
चीनी मिलों पर सख्ती की जरूरत
असली अराजनैतिक भाकियू के हरपाल सिंह ने कहा कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है, जिसे लेकर आंदोलन किया जा रहा है। किसानों को सौ फीसद भुगतान कराने के लिए चीनी मिलों पर सख्ती करने की जरूरत है।अमियापुर पचाक के किसान धर्मवीर सिंह ने बताया कि गन्ना मूल्य भुगतान नहीं होने से हमारे सामने समस्याएं आ रही हैं। कई बार आंदोलन करने के बाद भी भुगतान नहीं मिला है। चीनी मिलों पर शासन और प्रशासन की सख्ती का कोई असर नहीं है। बिलारी चीनी मिल पर मेरा अभी पचास हजार का भुगतान बाकी है, जिसके लिए परेशान होना पड़ रहा है। इसी गांव के किसान रामपाल सिंह ने कहा कि दो लाख रुपए बाकी हैं। 185 फरवरी तक का भुगतान मिला है, इसके बाद का भुगतान नहीं हुआ है। गन्ना भुगतान नहीं होने से फसल बोने में दिक्कत आ रही है। पारिवारिक समस्याएं अलग हैं। चीनी मिल मनमाने तरीके से किसानों को भुगतान कर रही है।
गन्ना से किसानों का हो रहा मोहभंग, 2500 एकड़ घटा रकबा
गन्ने की बुवाई से अब किसान धीरे-धीरे कतराने लगे है। गन्ना बेचने के लिए समय से पर्ची न मिलना और भुगतान में देरी इसका प्रमुख कारण है। किसानों को गन्ना लगाने के लिए अधिकारी प्रेरित तो कर रहे हैं लेकिन, किसानों पर इसका असर नहीं हो रहा है। किसान अपनी समस्या बताकर गन्ना बोने से इन्कार कर रहे हैं। जिले में 2500 एकड़ रकबा कम हो गया है। अगवानपुर क्षेत्र के किसान सबसे अधिक परेशान हैं।
गन्ना बोने के बाद किसान को उसे मिल तक पहुंचाने के लिए काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। पहले पर्ची के लिए मारामारी और उसके बाद भुगतान के लिए इंतजार। जिला गन्ना अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने कहा कि पर्ची और भुगतान समय से नहीं मिलने के कारण किसान गन्ना बोने में रुचि नहीं ले रहे हैं। 2500 एकड़ रकबा इस बार कम हुआ है। किसानों को गन्ने की फसल बोने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
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