कोरोना के खौफ से मुरादाबाद में जैविक बाजार बंद, वाट्सएप ग्रुप के जरिए फसल बेच रहे क‍िसान

कोरोना के खौफ से कृषि उत्पाद मंडी समिति में लगने वाला जैविक बाजार भी बंद हो गया है। वाट्सएप ग्रुप के जरिए जैसे-जैसे अपनी फसलों को बेच रहे हैं। बाजार नहीं होने से सब्जी की खेती अपने परिवार के लायक ही करनी शुरू कर दी है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:48 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:48 AM (IST)
कोरोना के खौफ से मुरादाबाद में जैविक बाजार बंद, वाट्सएप ग्रुप के जरिए फसल बेच रहे क‍िसान
वाट्सएप ग्रुप के जरिए फसल बेच रहे किसान।

मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना के खौफ से कृषि उत्पाद मंडी समिति में लगने वाला जैविक बाजार भी बंद हो गया है। वाट्सएप ग्रुप के जरिए जैसे-जैसे अपनी फसलों को बेच रहे हैं। बाजार नहीं होने से सब्जी की खेती अपने परिवार के लायक ही करनी शुरू कर दी है। मुरादाबाद में करीब 400 किसान जैविक खेती खेती करते हैं।

लाइनपार मझोला स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति में इन किसानों के लिए अधिकारियों ने बाजार लगवाना शुरू कर दिया था। हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को मंडी समिति के दफ्तर के पास ही स्टाल लगाकर जैविक बाजार लग रहा था। अमरोहा और रामपुर के किसानों का भी करीबी नाता हो गया। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर का जैविक बाजार पर भी साया पड़ गया। लाकडाउन के पहले से ही किसानों ने जैविक बाजार में आना बंद कर दिया। इसकी वजह से बाजार लगना ही बंद हो गया। जैविक उत्पाद खरीदने आने वाले ग्राहक भी मंडी नहीं आ रहे हैं। किसानों को अब वाट्सएप ग्रुपों के जरिए ही अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। किसानों ने गेहूं, ज्यौं के अलावा काला गेहूं इंटरनेट बाजार के माध्यम से भी जरूरतमंदों के पास तक पहुंचाया है।

मंडी समिति में लगने वाला जैविक बाजार लाकडाउन के पहले से ही बंद है। हमने तो वाट्सएप के जरिए ही अपना गेहूं और ज्यौं बेचा है। सब्जियों की पैदावार अपने परिवार के लिए कर रहे हैं। कोरोना का क्या पता कब तक रहेगा। बाजार ही नहीं है तो बेचेंगे कहां, सबसे बड़ा सवाल यह है।

पुनीत धारीवाल, किसान

जैविक खेती करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। मानव शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए जैविक भोजन करना चाहिए। धीरे-धीरे लाेग जागरूक भी होने लगे थे। लेकिन, कोरोना ने इस पर ब्रेक लगा दिया। क्या करें अब बाजार बंद होने से फसलों काे बेचना मुश्किल हो रहा है।

दिनेश चौधरी, किसान

हमारे यहां जैविक तरीके से आलू, मूली, टमाटर सभी तरह की सब्जियों की खेती हो रही थी। लेकिन, कोरोना संक्रमण की वजह से बाजार ही नहीं मिल रहा है तो पैदावार करके क्या होगा। फसल के दाम नहीं मिल रहे हैं। किसान बहुत परेशान है।

हरवंश सिंह, किसान

किसानों पर कोरोना से हर तरफ से मार पड़ रही है। पहले गांव में कोरोना का खौफ नहीं था। लेकिन, अब हर गांव में कोरोना का डर सताने लगा है। इसलिए घर से बाहर निकलते भी डर लगता है। किसानों को चाहिए कि कोरोना से सुरक्षित रहकर खेती करें। जान है तो जहान है।

अशोक सिंह, किसान

डाक्टर मेहंदी रत्ता ने चलाई थी मुहिम

किसान कृषि प्रशिक्षण केंद्र मनोहरपुर से डायरेक्टर डाक्टर मेहंदी रत्ता मुरादाबाद मंडल के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने का काम कर रहे थे। कोरोना संक्रमण के दौरान उनकी मुहिम को भी ब्रेक लगा है। डाक्टर मेहंदी रत्ता का कहना है कि कोरोना गांव तक भी पहुंच गया है। किसानों को चाहिए कि अपना ख्याल रखें। अमरोहा के बारसपुर गांव दिनेश चौधरी, कमालपुर पट्टी भूपेंद्र सिंह चौधरी, आशियाना में रहने वाले वरूण सोनी रामपुर में जैविक खेती करते हैं। विमल चौहान, बीवड़ाखुर्द गांव में जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही थी। लेकिन, कोरोना संक्रमण के बाद किसान मायूस हो रहे हैं।

chat bot
आपका साथी