Success Story: कभी 720 रुपये महीने की नौकरी करते थे, अब कर रहे सात सौ करोड़ का मेंथा कारोबार
मेंथा कारोबार ने रामपुर के कई उद्यमियों को फर्श से अर्श पर पहुंचाया है। इनमें एसके गुप्ता भी शामिल हैं। वह पहले बरेली की एक प्राइवेट फैक्ट्री में मात्र 720 रुपये माहवार नौकरी करते थे और अब सात सौ करोड़ का मेंथा कारोबार कर रहे हैं।
रामपुर [मुस्लेमीन]। मेंथा कारोबार ने रामपुर के कई उद्यमियों को फर्श से अर्श पर पहुंचाया है। इनमें एसके गुप्ता भी शामिल हैं। उनकी सफलता की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। वह पहले बरेली की एक प्राइवेट फैक्ट्री में मात्र 720 रुपये माहवार नौकरी करते थे और अब सात सौ करोड़ का मेंथा कारोबार कर रहे हैं। पांच सौ करोड़ का निर्यात भी करते हैं। अब उनकी दो बड़ी फैक्ट्री हैं, जिनमें सवा चार सौ कर्मचारी काम कर रहे हैं।
रामपुर में मेंथा का बड़ा कारोबार है। यहां से 1750 करोड़ का मेंथा निर्यात होता है। हजारों किसान और मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं। किसान खेत में मेंथा की फसल उगाते हैं और खेत में ही टंकी लगाकर मेंथा तेल निकालते हैं। इसके बाद किसान उद्यमियों को तेल बेचते हैं। रामपुर में मेंथा तेल से मेंथोल तैयार करने के 14 प्लांट हैं। इनमें पांच उद्यमी निर्यात कर रहे हैं। यहां से अमेरिका, इटली, स्पेन, जर्मनी, ब्राजील आदि देशों को क्रिस्टल और मेंथॉल का निर्यात होता है। मेंथा की बदौलत रामपुर के उद्यमियों को कारोबार में आगे बढऩे का मौका मिला। ऐसे कारोबारियों में एसके गुप्ता का नाम सबसे पहले आता है। वह बताते हैं कि मेंथा कारोबार से उन्हें तरक्की की राह मिली। वह 1975 में बरेली की प्राइवेट कंपनी में मात्र 720 रुपये माहवार नौकरी करते थे। 17 महीने नौकरी करने के बाद उन्होंने अपना कारोबार शुरू करना का प्लान बनाया। 40 हजार रुपये से मेंथा का तेल निकालने का काम शुरू किया। हाईवे पर फैजुल्लानगर के पास थोड़ी सी जमीन में यह काम जमाया। कड़ी मेहनत और ईमानदारी से कारोबार किया तो लोगों ने भी उनपर भरोसा जताया। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ता चला गया। इसके बाद यहीं पर स्वाति मेंथोल के नाम से फैक्ट्री लगा ली। जमीन भी करीब पांच एकड़ खरीद ली। फैक्ट्री चल निकली। इसके साथ ही मेंथा निर्यात भी शुरू कर दिया। बाद में शहजादनगर के पास दूसरी फैक्ट्री खड़ी कर दी। यह फैक्ट्री साढ़े दस एकड़ में है। वह कहते हैं कि उनकी दोनों फैक्ट्रियों में सवा चार सौ कर्मचारी काम करते हैं और करीब सात सौ करोड़ का सालाना कारोबार है।
मेंथा ने दिलाया पदमश्री
रामपुर में मेंथा ने कारोबारियों को तरक्की की राह दिखाई तो किसानों की आमदनी भी बढ़ाई। मैंथा की बदौलत रामपुर के सुशील सहाय को तो राष्ट्रपति पदमश्री अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं। उन्होंने मेंथा की शिवालिक प्रजाति की खोज की थी। रामपुर के अधिकतर किसान अब भी इसी प्रजाति की फसल उगाते हैं। इसमें तेल ज्यादा निकलता है। मेंथा उत्पादों का प्रयोग दवा बनाने में किया जाता है। विक्स, खांसी के सीरप एवं दर्द निवारक दवा में इसका उपयोग होता है। साबुन और सैनिटाइजर में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।