अब आपसे उम्मीद, मुझे जैसे पीडि़तों को मिलेगा न्याय Rampur News

जिले में महिलाओं और बाल यौन अपराध के मामलों की सुनवाई के लिए बनी हैं अलग कोर्ट 330 पॉक्सो एक्ट के मामलों में सुनवाई चल रही है जिले में !

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 02:25 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 02:25 PM (IST)
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रामपुर, जेएनएन : महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार सख्त कानून बना रही है। ऐसे मुकदमों की सुनवाई भी शीघ्र कराने को विशेष अदालतें बनाई गई हैं, लेकिन इन मुकदमों की संख्या में कमी नहीं आ पा रही है। जिले में भी ऐसे अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके कारण अदालतों में भी इन अपराधों के मुकदमों का बोझ बढऩे लगा है। वर्तमान में पॉक्सो एक्ट से संबंधित 330 मामलों में सुनवाई चल रही है और पीडि़तों को उम्मीद है कि उन जैसा कोई और पीडि़त न होगा।जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार तिवारी बताते हैं कि जिले में दो फास्ट ट्रैक कोर्ट चल रही हैं। इनमें महिला अपराधों से संबंधित मुकदमों की सुनवाई की जाती है, जबकि पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत है। इन अदालतों में आने वाले अपराधों की सुनवाई तेजी से की जाती है। फास्ट ट्रैक कोर्ट या विशेष अदालतों में कई ऐसे मामले आए, जिनमें साल भर से पहले ही मुकदमे का निस्तारण कर दिया गया। अब प्रदेश सरकार त्वरित न्यायालयों की संख्या और बढ़ाएगी। इसके लिए 218 अपर सत्र न्यायाधीश के नए पद सृजित किए जा रहे हैं। इसके अलावा 74 पॉक्सो कोर्ट स्थापित किए जाएंगे। इससे महिलाओं और बाल अपराधों के मामलों की सुनवाई में और तेजी आएगी।

11 माह में दुष्कर्म के 44 मुकदमे

जिले में इसी साल जनवरी से नवंबर माह के अपराध के आंकड़ों पर नजर डालें तो दुष्कर्म के 44 मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें 16 मामलों में सामूहिक दुष्कर्म हुआ। पुलिस की जांच में पांच मुकदमे झूठे पाए गए। 15 मुकदमों में पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर दी है, जबकि तीन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। वर्तमान में पांच मुकदमों में विवेचना जारी है।

एडीजी स्तर से हो रही गंभीर अपराधों की निगरानी

अमूमन अपराधों की पैरवी को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठते रहते हैं। पीडि़त पक्ष की यही शिकायत रहती है कि पुलिस ने आरोपित पक्ष की मदद की, लेकिन कुछ ऐसे अपराध हैं, जिनमें पुलिस की भूमिका निष्पक्ष है और पुलिस अपराधी को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए गंभीर पैरवी कर रही है। नाबालिग से दुष्कर्म, हत्या या दुष्कर्म के बाद हत्या जैसे गंभीर अपराधों में पुलिस के आला अफसर खुद निगरानी कर रहे हैं। एडीजी स्तर से हर सप्ताह ऐसे मामलों की जानकारी की जा रही है।

अधिकारियों को दो-दो मुकदमे आवंटित

पॉक्सो एक्ट समेत अन्य गंभीर मामलों की विवेचना को लेकर पुलिस गंभीर है। आइजी से लेकर एसपी, एएसपी, सीओ और थाना प्रभारियों को ऐसे दो-दो मुकदमे आवंटित किए गए हैं। इन मुकदमों की जांच से लेकर अदालत में पैरवी कराने और अपराधी को सजा दिलाने तक अधिकारियों की जिम्मेदारी रहेगी। वे इन मुकदमों की प्रगति पर नजर रखेंगे।

अरुण कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक

विशेष अदालत में तेजी से हो रही मुकदमों की सुनवाई

विशेष अदालत में पॉक्सो एक्ट के मामलों में तेजी से सुनवाई की जा रही है। इसी साल पहली सितंबर से 15 अक्टूबर तक चार मुकदमों में फैसला हुआ, जिसमें दो पॉक्सो एक्ट के थे। इनमें एक मामला केमरी थाना क्षेत्र का था, जहां नाबालिग को खेत में जाते समय बुरी नीयत से दबोचने के आरोपित मोहम्मद यासीन को तीन साल कैद की सजा हुई, जबकि दूसरा मामला खजुरिया थाना क्षेत्र का था। इसमें एक व्यक्ति की 15 साल की बेटी से तुल्लन नबी ने अपनी दुकान में कई बार दुष्कर्म किया। बाद में उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया था। दो साल पुराने इस मामले में अदालत ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में भी अदालत शुक्रवार को फैसला सुना सकती है। यह मुकदमा सिविल लाइंस कोतवाली में करीब तीन माह पहले ही दर्ज हुआ था।

कुमार सौरभ, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

2012 में बना पॉक्सो एक्ट

बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों की ख़बरें समाज को शर्मसार करती है। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर केंद्र सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था जो बच्चों को छेडख़ानी, दुष्कर्म और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून को ही पॉक्सो एक्ट का नाम दिया गया।

पास्को एक्ट और सजा

प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीडऩ से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।

बच्चों को सुरक्षा प्रदान करता है पॉक्सो एक्ट

इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।

दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर घायल पर उम्रकैद

पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

गोपनीय अंग से छेड़छाड़ पर सात साल तक की कैद

इसी तरह पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गोपनीय अंग से छेड़छाड़ की जाती है। इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

बच्चे के शरीर से हरकत पर भी है कठोर सजा

पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। इसके तहत बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।

18 से कम आयु तक के लिए है कानून

18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है। 

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