अब कारोबारियों को पचास लाख से अधिक बिक्री पर भी देना पड़ेगा आयकर, तीन माह में भरना हाेगा रिटर्न

कारोबारियों को अब पचास लाख से अधिक बिक्री पर करने पर आयकर विभाग को टैक्स कलक्ट एंड सोर्स (टीसीएस) देना पड़ेगा। प्रत्येक तीन माह में अनिवार्य रूप से रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया गया है। यह व्यवस्था पहली अक्टूबर से लागू की गई है।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:02 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 12:02 PM (IST)
अब कारोबारियों को पचास लाख से अधिक बिक्री पर भी देना पड़ेगा आयकर, तीन माह में भरना हाेगा रिटर्न
अब कारोबारियों को पचास लाख से अधिक बिक्री पर भी देना पड़ेगा आयकर

मुरादाबाद, जेएनएन। कारोबारियों को अब पचास लाख से अधिक बिक्री पर करने पर आयकर विभाग को टैक्स कलक्ट एंड सोर्स (टीसीएस) देना पड़ेगा। प्रत्येक तीन माह में अनिवार्य रूप से रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया गया है। यह व्यवस्था पहली अक्टूबर से लागू की गई है।

अभी तक कंपनी या कारोबारियों को बिल का भुगतान करने पर टैक्स डिडक्शन एंड सोर्स (टीडीएस) की कटौती की जाती थी और इसे आयकर में जमा किया जाता था। कोरोना संकट के बाद सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए माल की बिक्री करने पर टैक्स कलक्ट एट सोर्स (टीसीएस) लगाया है। यह व्यवस्था एक अक्टूबर से लागू की गई है। इस नियम के तरह दस करोड़ से अधिक सालाना टर्न ओवर वाले व्यापारी 50 लाख से अधिक का प्रत्येक माह कारोबार करते हैं तो उससे 0.75 फीसद टीसीएस जमा करना पड़ेगा। टीसीएस माल खरीदने वालों से लिया जाएगा। उस माह जमा नही करने पर एक फीसद की दर से टीसीएस वसूला जाएगा। आयकर विभाग बिजली उपकरणों, ऊर्जा बचत उपकरण के खरीदने वालों से टीसीएस नहीं लेगा। प्रत्येक तीन माह टीसीएस का रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा। इस व्यवस्था के बाद कीमत की वृद्धि होने की संभावना है। सामान खरीदने वाले टीसीएस के भुगतान का खर्च उपभोक्ता से वसूली करेगा।

चार्टर्ड एकाउंटेंट अजीत अग्रवाल ने बताया कि टीसीएस का रिटर्न दाखिल करने में विक्रेता को सामान खरीदने वाले का नाम, पैन व टिन नंबर डालना होगा। जिससे खरीदेने वाले की कंपनी का कोरोबार कम होने पर आयकर से टीसीएस वापस ले सकता है। टीसीएस काटने वालों को आनलाइन टैक्स व रिटर्न जमा करना होगा। नए नियम से लागू होने के बाद सभी कारोबारा प्रभावित होंगे। कोरोबारियों को टीसीएस की लेखा-जोखा करने के लिए कर्मचारी रखने की जरूरत होगी, जिससे खर्च बढ़ जाएगा। इसका असर बाजार में मूल्य को प्रभावित करेगा। 

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