मुरादाबाद पुलिस ने सीबीआइ की तरह जुटाए सुबूत, विभाग के लिए नजीर बना यह प्रकरण, जानिए क्या है पूरा मामला
Electronic and scientific evidence in kidnapping शिखा और उसका प्रेमी फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे हैं। यह हालात तब हैं जब शातिर शिखा ने मुकदमा वादी पति को अपने पाले में खींच लिया है। यह अलग बात है कि मुकदमे का ट्रायल होना अभी शेष है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Electronic and scientific evidence in kidnapping। बहुचर्चित ध्रुव अपहरण कांड की विवेचना मुरादाबाद पुलिस के लिए नजीर बन गई है। सीबीआइ की तर्ज पर पुलिस ने अपहरणकर्ताओं के खिलाफ ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र किए हैंं, जिसे नजर अंदाज करना कोर्ट के लिए भी आसान नहीं है। यही वजह है कि मुकदमा वादी के नाटकीय रूप से पक्ष द्रोही होने के बाद भी निचली अदालत से आरोपितों को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने अपहरणकर्ताओं की जमानत याचिका एक झटके में खारिज कर दी। गुणवत्तापूर्ण विवेचना का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष के अधिवक्ता तक ने पुलिस के प्रयासों की सराहना की।
मझोला थाना क्षेत्र में लाइनपार रामलीला मैदान के रहने वाले पांच वर्षीय ध्रुव के अपहरण का आरोप उसी की मां शिखा पर है। पुलिस के मुताबिक तेलंगाना के रहने वाले अपने प्रेमी अशफाक के साथ मिलकर शिखा ने मासूम पुत्र के अपहरण की साजिश रची थी। पति की तहरीर पर पुलिस ने शिखा और अशफाक समेत तीन लोगों को अपहरण का अभियुक्त बनाया। बालक की सकुशल बरामदगी के बाद तीनों ही आरोपित गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए। तेलंगाना के रहने वाले कार चालक इमरान को कोर्ट से जमानत भी मिल गई है। लेकिन शिखा और उसका प्रेमी फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे हैं। यह हालात तब हैं जब शातिर शिखा ने मुकदमा वादी पति को अपने पाले में खींच लिया है। यह अलग बात है कि मुकदमे का ट्रायल होना अभी शेष है। लेकिन यह बात अब शीशे की तरह साफ हो गई है कि शिखा का पति पुलिस की बजाय अब पत्नी के साथ खड़ा है। यानी कि इंसाफ की राह में पुलिस ठोस साक्ष्य और सुबूतों के साथ फिलहाल अकेले खड़ी है। पुलिस का आत्मविश्वास यदि लबालब है तो इसका एक मात्र कारण सीबीआइ की तर्ज पर की गई विवेचना है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने विवेचना की गुणवत्ता को बरकार रखने की कोशिश में आरोप पत्र का मजमून अपनी देखरेख और निगरानी में तैयार कराया। मुकदमे की विवेचना में पांच विवेचक लगे।