Moradabad Panchayat Chunav Result 2021 : जिला पंचायत की रुझानों ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की च‍िंता, निर्दलीय प्रत्याशियों ने दिखाया दम

जिला पंचायत सदस्यों की जीत-हार की स्थिति लगभग स्पष्ट हो गई। मुरादाबाद ब्लाक के तीन वार्डों के तीन विजेताओं के नाम की सूची जिलाधिकारी को भेज दी गई। रुझानों में किसी दल को अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने लायक सीट नहीं मिल रही है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 07:10 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 07:10 AM (IST)
Moradabad Panchayat Chunav Result 2021 : जिला पंचायत की रुझानों ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की च‍िंता, निर्दलीय प्रत्याशियों ने दिखाया दम
एक चौथाई सीट पर देर रात तक बनाई बढ़त।

मुरादाबाद, जेएनएन। सोमवार को देर रात तक चली मतगणना में जिला पंचायत सदस्यों की जीत-हार की स्थिति लगभग स्पष्ट हो गई। मुरादाबाद ब्लाक के तीन वार्डों के तीन विजेताओं के नाम की सूची जिलाधिकारी को भेज दी गई। रुझानों में किसी दल को अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने लायक सीट नहीं मिल रही है। दस सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं, इनमें से चार जीत दर्ज कर चुके थे। वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों को करीब 10 सीटों पर बढ़त मिलने से सभी राजनीतिक दलों का गणित बिगड़ गया है।

मुरादाबाद में जिला पंचायत की कुल 39 सीटें हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए 29 सीटें चाहिए। देर रात तक मतगणना के बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आई है, उसके अनुसार भाजपा के पास 10 सीटें आने की संभावना है। वहीं, सपा और बसपा के प्रत्याशी भी आठ-आठ सीटों पर आगे चल रहे थे। दस सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे चल रहे थे। इनमें से किसी के पास अच्छी-खासी बढ़त थी, तो किसी के पास मामूली। इससे अंतिम परिणाम आने तक समीकरणों में बदलाव आने की पूरी संभावना है। अगर यही समीकरण रहते हैं तो जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए किसी भी दल के पास बहुमत नहीं मिलेगा। परिणाम आने के साथ ही जोड़-तोड़ के समीकरण बनाने शुरू हो चुके हैं। अब निर्दलीय जीतने वाले सदस्यों को सभी राजनीतिक दल अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए देर रात परिणाम आने से पहले ही शुरुआत हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का मानना है कि उनकी बनाई रणनीति ही उन पर भारी पड़ी है। तीन-तीन नाम के भेजे गए पैनल बनाए गए थे। एक ही प्रत्याशी उतारा जाना था। बाकी ने विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा। इससे पार्टी को जितने जिला पंचायत सदस्य जीतने की उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरे दो से तीन उम्मीदवार भी बढ़त बनाए हुए थे। सपा और बसपा की स्थिति अच्छी है, पर अध्यक्ष की कुर्सी पाना लोहे के चने चबाने जैसा ही होगा।

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