Moradabad Municipal Corporation : चक्कर की मिलक में मेनहोल टूटने से बढ़ी लोगों की परेशानी

अवंतिका से चक्कर की मिलक तक 1200 मीटर गुम हुआ भूमिगत नाला मिलने के बाद भी मुसीबत की जड़ बना है। आठ साल पहले बने इस नाले का मेनहोल टूटने से अब गंदा पानी चक्कर की मिलक की निचली आबादी में घुस रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 11:23 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:23 AM (IST)
Moradabad Municipal Corporation : चक्कर की मिलक में मेनहोल टूटने से बढ़ी लोगों की परेशानी
टूटे मेनहोल से भूमिगत नाले का गंदा पानी घरों के आसपास खाली प्लाट में भरा।

मुरादाबाद, जेएनएन। अवंतिका से चक्कर की मिलक तक 1200 मीटर गुम हुआ भूमिगत नाला मिलने के बाद भी मुसीबत की जड़ बना है। आठ साल पहले बने इस नाले का मेनहोल टूटने से अब गंदा पानी चक्कर की मिलक की निचली आबादी में घुस रहा है। जिससे वहां नाले के नर्क से लोग परेशान हैं। नगर निगम अफसरों ने नाला ढूंढकर खोल दिया था लेकिन, इसका मेनहोल टूटने से गंदा पानी लोगों के दरवाजे तक घुस रहा है। चार दिन पहले हुई बारिश के दौरान इस टूटे मेनहोल से पानी घुस आया था। जिससे अभी तक कीचड़ पसरी हुई है। लोगों ने अपनी गली में सीमेंट की बोरियों में मिट्टी भरकर रास्ता निकलने भर का रास्ता बनाया है। लेकिन, नगर निगम के अफसर इस समस्‍या को दूर नहीं कर पा रहे हैं।

यह नाला अवंतिका कालोनी, देव विहार, चक्कर की मिलक को जोड़ता है। जो एक निजी कालोनी से गुजरते हुए चक्कर की मिलक व अवंतिका कालोनी को जोड़ता है। निजी कालोनी के विकसित होने से यह भूमिगत नाला अब जमीन में कई फीट नीचे दब गया है। जिसे ढूंढना पहले मुश्किल हुआ था। चार दिन की मशक्कत के बाद ढूंढने के बाद भी चक्कर की मिलक में जलभराव की समस्या से छुटकारा नहीं मिला है। अगर इसका समाधान नहीं ढूंढा तो अवंतिका कालोनी भी इस नाले के नर्क से डूबना तय है।

भूमिगत नाले का पाइप बदला जाएगा : नगर निगम ने जिस जगह से मेनहोल टूटा है, उसके पास 18 मीटर मेनहोल के पाइप को बदलने का प्रस्ताव तैयार किया है लेकिन, अभी इस पाइप को बदलने का काम शुरू नहीं हो पाया है। पर्यावरण अभियंता राजीव राठी इस भूमिगत नाले को लेकर कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। लेकिन, इस भूमिगत नाले की भौगोलिक स्थिति को समझने में भी असमंजस में हैं।

नाले का मेनहोल जिस जगह टूटा है। वहां 18 मीटर पाइप नया डालकर चेक किया जाएगा। अगर फिर भी जलभराव से मुक्ति नहीं मिलेगी तो वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी।

राजीव राठी, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम

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