Moradabad Health News : कोरोना महामारी में अपनों को खोने के बाद ब‍िगड़ रहा मानसिक संतुलन, यहां पढ़ें पूरी ड‍िटेल

कोरोना से मिला अपनों को खोने का जख्म लोगों का मानसिक संतुलन बिगाड़ रहा है। यही वजह है कि मनोचिकित्सकों के यहां मरीजों की संख्या तीन गुना हो गई है। इनमें 80 फीसद ऐसे मरीज हैं जिन्होंने कोरोना में अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को खोया है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 01:14 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 01:14 PM (IST)
Moradabad Health News : कोरोना महामारी में अपनों को खोने के बाद ब‍िगड़ रहा मानसिक संतुलन, यहां पढ़ें पूरी ड‍िटेल
मानसिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।

मुरादाबाद [मोहस‍िन पाशा]। कोरोना से मिला अपनों को खोने का जख्म लोगों का मानसिक संतुलन बिगाड़ रहा है। यही वजह है कि मनोचिकित्सकों के यहां मरीजों की संख्या तीन गुना हो गई है। इनमें 80 फीसद ऐसे मरीज हैं, जिन्होंने कोरोना में अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को खोया है। इसके अलावा कोरोना से बेरोजगार, काम चौपट हो जाने आदि की चिंता में लोग चिड़चिड़े हो रहे हैं। कुछ लोगों को नींद नहीं आने की भी शिकायत है। हालांकि, काउंसिलिंग के बाद ऐसे लोगों की मानसिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।

पोस्ट कोविड में दिमागी बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों में ही चिड़चिड़ापन, घबराहट, सिर दर्द, नींद न आना, डर, चिंता, आक्रामकता, कोरोना संक्रमण होना, डिप्रेशन, टेंशन और अपनों को खोने का का डर सता रहा है। जिस मनोचिकित्सक के यहां 20 मरीज काउंसिलिंग के लिए आते थे, उनके पास 60 तक मरीज आने लगे हैं। इनमें अधिकतर ऐसे मरीज हैं, जिन्हें मानसिक बीमारी कोरोना से मिली है। कोरोना में अकेलेपन से भी लोग मानसिक रोगी हो रहे हैं।

केस-एक :  डींगरपुर के रहने वाले युवक के परिवार के दो लोगों की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी। तभी से युवक बेहद परेशान है। उसे नींद नहीं आती है। उसे इस बात की चिंता है कि आगे क्या होने वाला है। उपचार शुरू होने के बाद दवाइयां लेकर उसकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है।

केस-दो : सिविल लाइंस क्षेत्र की रहने वाले एक 40 वर्षीय कोरोना संक्रमण के दौरान व्यक्ति ओब्सेसिव कंपलसिव डिस्आर्डर (ओसीडी) बीमारी के शिकार हो गए हैं। यह बीमारी काेरोना के डर से पैदा हुई है। वह मौत के खौफ से बार-बार हाथ धो रहे हैं। हाथ न धो पाने पर बेचैन हो उठते हैं।

केस-तीन : शहर के मुहल्ला असालतपुरा का युवक कोरोना से पिता की मौत के बाद डिप्रेशन के शिकार हो गया। उनके मन में बार-बार खुदकुशी करने का विचार आ रहा है। पूछने पर जवाब होता है कि अब मेरा क्या होगा। आगे भी यह निश्चित नहीं है कि वह कब तक सामान्य हो पाएगा।

केस-चार :  कुंदरकी के रहने वाले एक व्यक्ति के परिवार में कोरोना से महिला की मौत हो गई। बंदी में उनकी दुकान भी बंद रही। इसके अलावा परिवार पालने का कोई जरिया नहीं है। इसलिए, टेंशन में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। हालात सुधरने पर भी भविष्य की चिंता में घुल रहे हैं।

कोरोना संक्रमण को लेकर अनिश्चिता बनी हुई है। इसलिए लोगों के मन में तमाम सवाल चल रहे हैं। यह भी दिमागी बीमारी की वजह बन रहा है। ऐसे में सामाजिक दूरी बनाने की जरूरत नहीं है। शारीरिक दूरी बनाकर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बात करते हैं। एक-दूसरे की मदद करें। किसी के मन में आत्महत्या का विचार आए तो उसे हल्के में लेने की जरूरत नहीं है, तुरंत मनोचिकित्सक के संपर्क करें। लोगों के मन से बीमारी का डर निकालने के लिए सरकार को मनोचिकित्सकों को साथ में लेकर हेल्पलाइन शुरू करनी चाहिए।

डा. इमरान हुसैन, मनोचिकित्सक 

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