Moradabad Education News : बाजार में नहीं म‍िल रहीं एनसीईआरटी की कक्षा छह से आठवीं तक की किताबें

पहले ही छात्रों की पढ़ाई एक साल से कोरोना ने चौपट कर डाली। अब बाजार में एनसीईआरटी की किताबें भी पूरी नहीं हैं। कक्षा छह सात और आठवीं की गणित विज्ञान व अंग्रेजी की किताबें बाजार में नहीं हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 03:50 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 03:50 PM (IST)
Moradabad Education News : बाजार में नहीं म‍िल रहीं एनसीईआरटी की कक्षा छह से आठवीं तक की किताबें
पहले ही छात्रों की पढ़ाई कोरोना के कारण पटरी पे नहीं आई।

मुरादाबाद, जेएनएन। पहले ही छात्रों की पढ़ाई एक साल से कोरोना ने चौपट कर डाली। अब बाजार में एनसीईआरटी की किताबें भी पूरी नहीं हैं। कक्षा छह, सात और आठवीं की गणित, विज्ञान व अंग्रेजी की किताबें बाजार में नहीं हैं। प्रकाशकों ने इस साल किताबों का प्रकाशन नहीं कराया है। इसकी वजह नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद एनसीआइटी किताबों का पाठयक्रम बदलना माना जा रहा है। 

नई किताबें बाजार में नहीं हैं। यही नहीं एनसीईआरटी की कक्षा नवीं व दसवीं की गणित व विज्ञान की किताबें बहुत कम हैं। एनसीईआरटी ही नहीं निजी प्रकाशकों की भी किताबें नहीं हैं। नई शिक्षा नीति लागू के कारण अभी ऑनलाइन भी कक्षा छह से आठवीं तक की नए पाठयक्रम के अनुसार उपलब्ध नहीं होने की बात पुस्तक विक्रेता कर रहे हैं। इससे कक्षा से आठवीं के छात्रों की ऑनलाइन किताबों के भरोसे न होने के कारण प्रभावित होगी। ऑनलाइन पढ़ाई पब्लिक स्कूलों ने शुरू कर दी है। हालांकि पुराने पैटर्न के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई शरू कर दी गई है लेकिन, नए पैटर्न पर कक्षा छह से आठवीं की किताबें जल्द नहीं आईं तो छात्रों की समस्या और बढ़ जाएगी। पहले से ही कोरोना महामारी के कारण बंद चल रहे स्कूल बंद चल रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई ही अब छात्रों के सामने एक मात्र विकल्प है।

किताबों का पुराने साल का स्टॉक

किताबों की दुकानों पर पुराने साल की किताबों का स्टॉक भरा पड़ा है। पिछले साल ऑनलाइन पढ़ाई के चलते जरूरत भर की किताबें ही छात्रों ने ली  थीं। पुस्तक विक्रेता हर साल फरवरी तक किताबों की लॉट मंगा लेते हैं लेकिन, पिछले साल लॉट आने के बाद मार्च में लॉकडाउन लग गया था। जिससे निजी प्रकाशक व एनसीईआरटी की जो किताबें बाजार में हैं, वहीं बेची जा रही हैं।

एनसीईआरटी की कक्षा छह से आठवीं तक की गणित, विज्ञान व अंग्रेजी की किताबें नहीं हैं। इस कारण, नई शिक्षा नीति लागू होने से प्रकाशन में देरी मानी जा रही है। कुछ निजी प्रकाशकों की किताबें भी बाजार में कम हैं।सुनील अरोरा, पुस्तक विक्रेता

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