मुरादाबाद के ब‍िलारी में पहुंचीं मेधा पाटकर, कहा-हम आंदोलन के बिना जिंदा नहीं रह सकते हैं

मुरादाबाद के ब‍िलारी में महापंचायत में ह‍िस्‍सा लेने पहुुंचीं मेधा पाटकर ने क‍िसानों की समस्‍याओं पर खुलकर बात की। कहा क‍ि कन्या कुमारी से आसाम तक आंदोलन हो रहा है। गाजीपुर बार्डर पर जाट मुस्लिम और सभी धर्म जाति के लोग एक साथ बैठे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 08:47 AM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 08:47 AM (IST)
मुरादाबाद के ब‍िलारी में पहुंचीं मेधा पाटकर, कहा-हम आंदोलन के बिना जिंदा नहीं रह सकते हैं
संयुक्त किसान मोर्चा में 500 संगठन एक साथ हैं।

मुरादाबाद, जेएनएन। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठीक ही कहते हैं, कि हम आंदोलनजीवी है। हम आंदोलन के बिना जिंदा नहीं रह सकते हैं। आंदोलन हमारा अधिकार है, जब तक देश में समस्याएं रहेंगी लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए आंदोलन करते रहेंगे। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान एकजुटता से लड़ाई ल़ड़ रहे हैं। किसानों को यह लड़ाई जीतकर ही घर लौटना है। कन्या कुमारी से आसाम तक आंदोलन हो रहा है। गाजीपुर बार्डर पर जाट, मुस्लिम और सभी धर्म जाति के लोग एक साथ बैठे हैं। बिलारी में भी जात-पात भुलाकर किसान महापंचायत में आए हैं।

यह बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नेता मेधा पाटकर ने कही। वह ब‍िलारी में संयुक्त किसान मोर्चा की क‍िसान महापंचायत में ह‍िस्‍सा लेने आईं थीं। इस दौरान उन्‍होंने कहा क‍ि संयुक्त किसान मोर्चा में 500 संगठन एक साथ हैं। धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों ने किसानों के खिलाफ बड़े पूंजीपातियों को खड़ा किया है। इसलिए हर संवेदनशील नागरिक किसानों को सलाम करता है। हम चाहते हैं कि सब्जी, दूध आदि बेचने वाले छोटे किसान भी हमारे साथ आएंं। मध्य प्रदेश की तमाम सोसायटियों के कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। इससे वहां की सरकार परेशान हैंं। केंद्र के आगे कोई सरकार कुछ नहीं बोल पा रही है। कांटेक्ट खेती के लिए पहले ही केंद्र सरकार से उद्योगपतियों से अनुबंध हो चुका है। कृषि कानून में किसानों को कोर्ट में जाने की इजाजत भी नहीं दी गई है। दिल्ली बार्डर पर भी आंदोलन जारी है, जारी रहेगा। पहले कानून वापसी फिर होगी फिर घर वापसी। 

यह भी पढ़ें 

अमरोहा कांड : जान‍िए शबनम और सलीम के खूनी प्‍यार की पूरी कहानी, एक ही रात सात की हुई थी हत्‍या

कात‍िल शबनम के चाचा और चाची बोले-फांसी से म‍िलेगा इंसाफ, सात कब्रें द‍िलाती हैं नरसंहार की याद

chat bot
आपका साथी