मुरादाबाद में रामगंगा नदी के किनारे होगी लेमन ग्रास की खेती, जानिये लेमन ग्रास के क्या हैं फायदे
Lemon Grass Cultivation in Moradabad रामगंगा नदी किनारे बांस के साथ लेमन ग्रास की खेती कराई जाएगी। इसके लिए कार्ययोजना बना ली गई है। कृषि विभाग के वैज्ञानिक लेमन ग्रास की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देंगे। तिलहन और दलहन की खेती का क्षेत्र भी बढ़ाया जाएगा।
मुरादाबाद, जेएनएन। Lemon Grass Cultivation in Moradabad : रामगंगा नदी किनारे बांस के साथ लेमन ग्रास की खेती कराई जाएगी। इसके लिए कार्ययोजना बना ली गई है। कृषि विभाग के वैज्ञानिक लेमन ग्रास की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देंगे। मंडलायुक्त आन्जनेय सिंह के निर्देश पर बनी कलस्टर खेती की कार्ययोजना में रामगंगा के किनारे की 280 हेक्टेयर जमीन को बांस और लेमन ग्रास की खेती के लिए चिहिन्त किया गया है। इसके अलावा तिलहन और दलहन की खेती का क्षेत्र भी बढ़ाया जाएगा। इसके लिए किसानों का गेहूं और धान का क्षेत्रफल कम करने की योजना है।
मंडलायुक्त ने कलस्टर में खेती करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने को आदेश दिए थे। अधिकारियों ने मिट्टी की उपयोगिता के हिसाब से कलस्टर में खेती करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है। मुरादाबाद में लेमन ग्रास की खेती करने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है। इसके लिए रामगंगा किनारे की जमीन सबसे उपयुक्त है। इसलिए कार्ययोजना में रामगंगा के दोनों किनारों पर 140-140 हेक्टेयर लेमन ग्रास की खेती करने के लिए जमीन को आरक्षित करने के लिए कहा गया है।
कृषि विभाग के अधिकारी लेमन ग्रास की खेती से होने वाले लाभ की जानकारी देकर किसानों को इसके लिए राजी करेंगे। उप कृषि निदेशक सीएल यादव ने बताया कि रामगंगा नदी के किनारे ज्यादातर किसान पालेज की खेती करते हैं। उससे किसानों को कोई बड़ा लाभ नहीं मिलता है। लेमन ग्रास की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
हर्बल उत्पादों में काम आती है लेमन ग्रासः लेमन ग्रास की मांग हर्बल उत्पादों में बहुत होती है। यह चेहरे और शरीर पर लगाने वाले क्रीम आदि बनाने में भी इस्तेमाल होती है। मच्छर की दवाई आदि बनाने में काम आती है। इसलिए इसकी दिल्ली समेत बड़े शहरों के बाजार में मांग रहती है। उप कृषि निदेशक ने बताया कि लेमन ग्रास की खेती होने से किसान गेहूं और धान का रकबा कम करेंगे।