Kargil Vijay Diwas 2021 : दो गोली लगने के बावजूद मैदान में डटे रहे अरविंद, अंतिम सांस तक हाथ में रही राइफल
कारगिल युद्ध विश्व का सर्वाधिक कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया युद्ध था। इसे भारतीय सेना के जवानों के अदम्य साहस के बल पर जीता गया। देश के विभिन्न हिस्सों के जवानों ने अपना शौर्य दिखाते हुए इस युद्ध में पाकिस्तान को हराया था।
मुरादाबाद, संवाद सहयोगी। कारगिल युद्ध विश्व का सर्वाधिक कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया युद्ध था। इसे भारतीय सेना के जवानों के अदम्य साहस के बल पर जीता गया। देश के विभिन्न हिस्सों के जवानों ने अपना शौर्य दिखाते हुए इस युद्ध में पाकिस्तान को हराया था। कांठ क्षेत्र के गांव मिलक आवी हफीजपुर निवासी अरविंद सिंह ने भी इस युद्ध में प्राण बलिदान किए थे।
कारगिल के अमर सेनानी शहीद अरविंद सिंह की शहादत को कोई भुला नहीं सकता। किसान परिवार में ग्राम मिलक आवी हफीजपुर में चौधरी मुख्तियार सिंह के घर में अरविंद सिंह का जन्म हुआ। बचपन से साहसी और देशभक्ति के भाव से भरे अरविंद सेना में भर्ती हुए। 1999 में पाकिस्तान से जब कारगिल युद्ध हुआ, अरविंद सिंह की रेजिमेंट को कारगिल युद्ध के मोर्चे पर तैनात किया गया था। बड़ी जांबाजी के साथ अरविंद ने युद्ध लड़ा था। स्वजन बताते हैं कि युद्ध के दौरान उनसे बात नहीं हो पाती थी। एक बार बात हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि हालात बुरे हैं, पर हम सब अपनी हिम्मत के बल पर युद्ध जीतकर लौटेंगे। पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में 29 जून 1999 को अरविंद सिंह शहीद हो गए। उनके शहीद होने का समाचार जब गांव में पहुंचा तो गांव में मातम छा गया था। बलिदानी के भाई धर्मेंद्र सिंह ने कहा की अरविंद सिंह ने अपना नाम अमर शहीदों में लिखा दिया है। उनका कारगिल युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाकर बलिदानी होना उनकी बहादुरी का उदाहरण है। दो गोली लगने के बावजूद अरविंद पीछे नहीं हटे और मोर्चा संभाले रहे और तीन पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया।
युवाओं के लिए बने आदर्श : धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि अमर बलिदानियों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। शहीद अरविंद सिंह से प्रेरणा लेकर आसपास के ग्रामों के सैकड़ों युवा फौज में भर्ती हुए हैं। अपने भाई पर मुझे गर्व है। सैनिक बनना आसान नहीं होता। जब हम सर्दियों में रात को आराम से सोते हैं, तब वह सर्द हवाओं के थपेड़े झेलते हैं।
सरकार से है नाराजगी : शहीद के भाई धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि जब भाई अरविंद शहीद हुए थे तो तत्कालीन सरकार ने शहीद गेट बनवाने के साथ ही, 25 बेड का अस्पताल बनवाने, टीन शेड लगवाने सरकारी नल और गांव का नाम शहीद अरविंद नगर करने की घोषणा की थी। लेकिन, अभी तक इस कार्य को पूरा नहीं किया गया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है और हमें सरकार से पूरी उम्मीद है कि सरकार वादा पूरा करेगी।