मुरादाबाद जेल में भ्रष्टाचार की जांच, डीआइजी जेल ने दर्ज किए बयान, 10 घंटे तक की पूछताछ
बंदियों को सुविधाएं देने और वसूली की हुई थी शिकायत। शासन ने आगरा जेल के डीआइजी को गोपनीय रूप से जांच के लिए भेजा। डीआइजी आगरा ने जिला कारागार के बंदियों अफसरों के साथ ही लगभग 25 लोगों के बयान दर्ज किए।
मुरादाबाद, जेएनएन। जिला कारागार में भ्रष्टाचार को लेकर शासन में पूर्व में तैनात रहे जेलर ने शिकायत की थी। इस मामले में शासन ने आगरा जेल के डीआइजी को गोपनीय रूप से जांच करने के लिए कारागार में भेजा था। दो दिन पूर्व डीआइजी आगरा ने जिला कारागार के बंदियों, अफसरों के साथ ही लगभग 25 लोगों के बयान दर्ज किए। बयान दर्ज करने के बाद वह आगरा लौट गए।
कारागार में भ्रष्टाचार को लेकर 29 बिंदुओं का एक शिकायती पत्र शासन को भेजा गया था। इस शिकायती पत्र में पूर्व में तैनात रहे जेलर रिबन सिंह ने तत्कालीन जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अपने शिकायती पत्र में कहा था कि बंदियों से पैसे लेकर उन्हें बैरक आवंटित की जाती है। इसके साथ ही अस्पताल की सुविधाएं प्रदान की जाती है। वसूली न होने पर जेलरों को वरिष्ठ जेल अधीक्षक मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। इस शिकायत पर कार्रवाई न होने पर जेलर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। हालांकि बाद में इस मामले का संज्ञान लेकर शासन ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक का स्थानांतरण कर दिया था। वहीं हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद आनन-फानन में आगरा जेल के डीआइजी अखिलेश मीना को दो दिन पूर्व कारागार में जांच के लिए भेजा गया था। इस दौरान उन्होंने जेलर,बंदी रक्षकों के साथ ही बैरक में मौजूद बंदियाें के बयान दर्ज किए। करीब दस घंटे रुकने के बाद वह वापस आगरा लौट गए थे। डीआइजी की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन आरोपित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तय की जाएगी।
शासन के निर्देश पर कारागार में एक मामले की जांच के लिए आगरा डीआइजी जेल आए थे। उन्होंने कर्मचारियों और बंदियों से संबंधित शिकायत के संबंध में जानकारी मांगी थी। जांच में सभी ने पूरा सहयोग प्रदान किया था।
वीरेश राज शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, मुरादाबाद
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