International Tiger Day 2021 : जंगल में बाघ का बढ़ा कुनबा, तेंदुओं ने डरकर आबादी की ओर किया पलायन

तीन सालों में सौ से अधिक तेंदुओं ने मुख्य जंगल को छोड़कर आबादी क्षेत्र की तरफ पलायन किया है। यही कारण है कि बीते कुछ साल में ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुओं के हमले की घटनाएं बढ़ी है। उत्तराखंड के जिम कार्बेट पार्क से अमानगढ़ का जंगल जुड़ा है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 04:53 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 04:53 PM (IST)
International Tiger Day 2021 : जंगल में बाघ का बढ़ा कुनबा, तेंदुओं ने डरकर आबादी की ओर किया पलायन
बीते पांच सालों में बाघ की संख्या 12 से 23 तक पहुंची।

मुरादाबाद [रितेश द्विवेदी]। जमीन के लिए इंसानों को लड़ते हुए तो सभी ने देखा होगा, लेकिन जंगल के लिए भी जानवरों में जंग छिड़ी है। जानवरों की इस जंग में जो ताकतवर है, उसका कब्जा बढ़ता जा रहा है, जबकि जो कमजोर है, वह जंगल छोड़कर भाग रहे हैं। मुरादाबाद मंडल के अमानगढ़ के जंगल में इन दिनों बाघ और तेंदुओं के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। इस लड़ाई में तेंदुए जंगल छोड़कर आबादी के इलाकों में पलायन कर रहे हैं। तेंदुओं के जंगल छोड़ने से वन विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जंगल में बाघ का कुनबा बढ़ गया है। बाघ की संख्या बढऩे के साथ ही शिकार को लेकर बाघ और तेंदुओं के बीच लड़ाई होने लगी है।

एक अनुमान के मुताबिक बीते तीन सालों में सौ से अधिक तेंदुओं ने मुख्य जंगल को छोड़कर आबादी क्षेत्र की तरफ पलायन किया है। यही कारण है कि बीते कुछ साल में ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुओं के हमले की घटनाएं बढ़ी है।

उत्तराखंड के जिम कार्बेट पार्क से अमानगढ़ का जंगल जुड़ा है। करीब साढ़े आठ हजार हेक्टेयर में फैला अमानगढ़ जंगल में सभी जनवरों के साथ ही पशु-पक्षियों का बेहतर ठिकाना है। यहां पर हरे चारे के साथ ही शिकार के लिए जानवर मौजूद रहते हैं। जिसके चलते बीते कुछ सालों में पहाड़ी क्षेत्र को छोड़कर जानवर अमानगढ़ में आशियाना बना रहे हैं। शिकार के बेहतर प्रबंध होने के बाद जानवरों के प्रजनन में यहां कोई परेशानी हैं, जिसके चलते उनका कुनबा भी बढ़ रहा है। बीते पांच सालों में अमानगढ़ में बाघ की संख्या बढ़ी है। साल 2015 तक यहां पर बाघ की संख्या 12 बताई जाती थी, लेकिन ताजा सर्वे में यह बढ़कर 23 से ज्यादा हो गई है। बाघ का कुनबा बढ़ने से वन विभाग के अफसर तो खुश हैं, लेकिन उनके लिए बाघों ने चिंता की लकीरें भी खींच दी है। वन विभाग के अफसरों ने बताया कि बाघ की संख्या बढ़ने से तेंदुओं का शिकार करना मुश्किल हो गया है। बाघ और तेंदुओं का लगभग एक जैसा ही शिकार होता है। ऐसे में दोनों जानवर आपस में लड़ रहे हैं। बाघों के डर के कारण सौ से अधिक तेंदुओं ने जंगल से बाहर आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं। यही कारण हैं कि बीते कुछ सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुओं की हमलों की संख्या बढ़ी है, और यह अफसरों के लिए चिंता का विषय है।

शहर की सीमाओं में आकर हमले कर रहे तेंदुए : पांच साल पहले तक तेंदुए के हमले करने के एक या दो मामले ही सामने आते थे। और जो भी मामने सामने आते थे, वह उत्तराखंड बार्डर से सटी तहसील ठाकुरद्वारा क्षेत्र के होते थे। लेकिन मौजूदा समय में कांठ तहसील क्षेत्र के साथ ही शहरी सीमा के गांव अगवानपुर तक तेंदुओं ने अपनी आमद दर्ज कराई है। अमानगढ़ के जंगल को जो तेंदुएं छोड़कर आए हैं, वह रामगंगा के खादर इलाके साथ ही गन्ने के खेतों में अपना आशियाना बना लिया है।

जिले में एक साल में पांच व्यक्तियों की हमले से हुई मौत : जनपद में तेंदुए के हमले से बीते एक साल में पांच व्यक्तियों की मौत हुई है, जबकि घायलों की संख्या इससे चार गुना अधिक है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गंभीर रूप से केवल पांच लोग ही घायल हुए हैं, जिन्हें सरकार की ओर से मुआवजा देने की कार्रवाई हुई है। वहीं तेंदुओं के हमलों में किसानों के 12 पशु भी मारे गए हैं।

अमानगढ़ के जंगल में बाघ की संख्या बढ़ी है। जिसके चलते शिकार के लिए बाघ और तेंदुए आपस में लड़ रहे हैं। बाघ के डर से बड़ी संख्या में तेंदुओं ने जंगल को छोड़कर आबादी क्षेत्र की ओर आ गए हैं। इसी कारण से ग्रामीण इलाकों में तेंदुओं के हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। वन विभाग लगातार लोगों को जागरूक करने के साथ ही सुरक्षित करने का काम भी कर रहा है।

विजय सिंह, क्षेत्रीय वन निदेशक,मुरादाबाद मंडल 

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