Indian Railways : इलेक्ट्रिक इंजन के अभाव में रोजाना 72 लाख रुपये डीजल पर खर्च कर रहा रेलवे
रेलवे का लक्ष्य है कि वर्ष 2023 तक सभी रेल मार्ग का विद्युतीकरण कर दिया जाए। इसके बाद डीजल इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें और मालगाड़ियां चलाईं जाएं। इससे डीजल की बचत होने के साथ प्रदूषण भी नियंत्रित होगा।
मुरादाबाद [प्रदीप चौरसिया]। इलेक्ट्रिक इंजन के अभाव में रेलवे के लिए डीजल इंजन आर्थिक रूप से बोझ बना हुआ है। प्रतिदिन रेल प्रशासन को 72 लाख रुपये डीजल पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। इसके कारण मंडल में 45 ट्रेनें अभी तक डीजल इंजन से चलाई जा रहीं हैं।
रेलवे का लक्ष्य है कि वर्ष 2023 तक सभी रेल मार्ग का विद्युतीकरण कर दिया जाए। इसके बाद डीजल इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें और मालगाड़ियां चलाईं जाएं। इससे डीजल की बचत होने के साथ प्रदूषण भी नियंत्रित होगा। इसक कम खर्च में ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। मुरादाबाद रेल मंडल के 95 फीसद रेल मार्ग पर विद्युतीकरण हो चुका है और इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन चलाने की अनुमति जारी की जा चुकी है। चन्दौसी अलीगढ़ मार्ग पर विद्युतीकरण का काम तेजी से चल रहा है। यह काम पूरा होने के बाद मंडल के सभी रेल मार्ग का विद्युतीकरण हो जाएगा। मुरादाबाद रेल मंडल से व यहां से होकर 136 ट्रेनें चलती हैं। इससे दो ट्रेन को छोड़ कर सभी ट्रेनें विद्युतीकरण मार्ग से चल रहीं हैं। केवल 91 ट्रेनों को इलेक्ट्रिक इंजन से चलाया जा रहा है। इलेक्ट्रिक इंजन के अभाव में 45 ट्रेनें डीजल इंजन से चलाई जा रहीं हैं। इसमें 30 ट्रेनें मुरादाबाद से होकर, चार ट्रेनें हरिद्वार से, दो ट्रेनें देहरादून से और 9 ट्रेनें बरेली से विभिन्न स्थानों को चलती हैं। इसके अलावा रेल मंडल में औसत 150 मालगाड़ी प्रतिदिन रेल मंडल से गुजरती हैं, एक फीसद मालगाड़ी गैर विद्युतीकरण मार्ग से चलती हैं। रेल मंडल में डीजल से चलने वाली ट्रेनों व मालगाड़ी में प्रतिदिन औसत 80 हजार लीटर डीजल भरा जाता है। जिसकी कीमत 72 लाख रुपये है।
मालगाड़ी व ट्रेन का डीजल इंजन औसत पांच लीटर डीजल में एक किलोमीटर चलती है। यानी 360 रुपये डीजल पर खर्च करना पड़ता है। जबकि इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाले पर 150 रुपये से भी कम की बिजली की खपत होती है। यानी इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन चलाने में 60 फीसद तक बचत की जा सकती है। मंडल वाणिज्य प्रबंधक गौरव दीक्षित ने बताया कि मुरादाबाद मंडल में इलेक्ट्रिक इंजन का शेड नहीं हैं, दूसरे मंडल में जहां शेड हैं वहां से ट्रेन व मालगाड़ी के लिए इंजन उपलब्ध कराया जाता है। इलेक्ट्रिक इंजन नहीं होने से डीजल इंजन द्वारा ट्रेनें और मालगाड़ियां चलाई जाती हैं।