Independence Day : आजादी के दीवाने का जज्‍बा, अब तक संभाल कर रखा है जश्‍न में शामिल तिरंगा

मनोहर लाल गर्ग मरते समय तिरंगा देवेश चंद्र गर्ग को सौंप गए। श्री गर्ग बताते हैैंैं कि वह झंडा दिखाकर पोता-पोती को आजादी की कहानी बताते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 05:49 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 05:49 PM (IST)
Independence Day : आजादी के दीवाने का जज्‍बा, अब तक संभाल कर रखा है जश्‍न में शामिल तिरंगा
Independence Day : आजादी के दीवाने का जज्‍बा, अब तक संभाल कर रखा है जश्‍न में शामिल तिरंगा

मुरादाबाद। लोगों में गजब की आजादी की दीवानगी थी। आजादी की जश्न भी शानदार तरीके सेे मनाया गयाा था। आजादी के दीवाने ने इस जश्न की निशानी को आज भी संभाल कर रखा है। पिता की मौत के बाद बेटे ने आजादी के बाद मुख्‍य डाकघर फहराए गए पहले झंंडे को आज भी संभाल कर रखा है। 

देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत की नौकरी करने वाले भी आंदोलन में शामिल होते थे और अपने तरीके से विरोध भी जताते थे। बीएसएनएल से सेवानिवृत्त अधिकारी देवेश चंद्र गर्ग बताते हैं कि उनके पिता मनोहर लाल गर्ग डाकघर में पोस्टर मास्टर की नौकरी करते थे। आजादी के लिए सत्याग्रह आंदोलन से जुड़े हुए थे। अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में जूता पहनना छोड़ दिया था। नंगे पैर चलते थे। आजादी वाले दिन ही खड़ाऊ पहना था। देवेश चंद्र गर्ग कहते हैं 15 साल बड़े दो बड़े भाई थे, जो सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेते थे। देवेश चंद्र गर्ग कहते हैं जब वह बोलना सीख रहे थे तो उनके पिता नेभारत माता की जय बोलना सिखाया था।

14 आजादी की घोषणा होने से बाद रात भर लोगों ने जश्न मनाया था। आजादी के समय उसकी उम्र छह साल की थी। 15 अगस्त 1947 की सुबह उठाया गया। उन्‍‍‍‍‍‍‍‍होंने बच्चों की टोली में शामिल होकर प्रभात फेरी निकाली थी। उनका परिवार उस समय कटघर गाड़ीखाना में रहते थे। प्रभात फेरी के बाद वह पिता जी के साथ डाकघर पहुंचेे और वहां तिरंगा फहराया गया। मिठाई का वितरण किया गया था।

देवेश चंद्र गर्ग बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 को डाकघर में फहराए गए तिरंगा को उतारने के बाद मुहर लगाकर पिता जी ने सुरक्षित रख लिया। पिता जी वर्ष 1960 में सेवानिवृत्त हुए थे। डाकघर से वह झंडा पने साथ ले आए थे। जब तक जीवित रहे तब तक झंडा की देखभाल खुद करते थे। 

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