कोरोना महामारी में रामपुर में बढ़ी आत्महत्या की घटनाएं, जानिए क्या है वजह
आत्महत्या का विचार व्यक्ति के मन में पल भर के लिए ही आता है। यदि उस समय वह स्वयं को समझा ले या किसी का सपोर्ट उसे मिल जाए तब भी उस परिस्थिति को टाला जा सकता है।
रामपुर,जेएनएन। कोरोना काल में आत्महत्या की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। जिले में पिछले तीन दिन के अंदर बिजली कर्मी और छात्र समेत तीन लोगों ने आत्म हत्या की है। आज का किशोर, युवावस्था में कदम रखते ही मानसिक तनाव से घिर जाता है। आंखों में सुनहरे सपने होते हैं, लेकिन जमाने की ठोकर उन सपनों को साकार होने से पूर्व ही तोड़ देती है। युवा बनना कुछ चाहते हैं पर विवशता उन्हें कहीं और ले जाती है। यहीं से मानसिक तनाव की शुरुआत होती है।
जनपद में हाल के दिनों में कई आत्महत्यायें हुईं हैं। अभी तीन दिनों के अंदर ही तीन ऐसे मामले सामने आ गए। नौ अगस्त को स्वार के जालि़फ नगला गांव में 25 वर्षीय मुहम्मद इकराम ने फांसी लगा कर आत्महत्या की थी। वह बिजली विभाग में संविदा कर्मी था और प्रानपुर मार्ग पर किराए के मकान में रहता था। रात में नौ बजे पड़ोसी उससे मिलने गया तो दरवाजा बंद मिला। खिड़की से झांकने पर उसे कुंडे से लटकता पाया। इसके साथ मंगलवार को एक साथ दो ऐसी घटनाएं सामने आईं। जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे संभल के कैदी ने बैरक में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। इस वर्ष 29 फरवरी को ही अदालत ने उसे हत्या के मुकदमे में सजा सुनाई थी। वह कैंसर से पीड़ित था। इसके अलावा मिलक के मुहल्ला पटेल नगर निवासी लेखपाल ओमकार सिंह के 17 वर्षीय पुत्र गुड्डू ने छत में लगे कुंडे से लटक कर फांसी लगा ली। स्वजन के अनुसार वह बीमारी के कारण डिप्रेशन में चल रहा था।
टाली जा सकती हैं आत्महत्या की परिस्थितियां
राजकीय कन्या डिग्री कॉलेज में मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. सुनीता कहती हैं कि आज युवाओं में असुरक्षा की भावना तेजी से घर करती जा रही है। वे कॅरियर को लेकर चितित रहते हैं, अपने सपनों को लेकर परेशान रहते हैं। जब सफलता नहीं मिलती तो अवसाद की गिरफ्त में चले जाते हैं। उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति अचानक आत्महत्या नहीं कर लेता। उसमें पहले से इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे वह अलग-थलग सा रहने लगता है। नीरसता भरी बातें करने लगता है। ऐसा कुछ नजर आते ही उस पर ध्यान दें। उसे सकारात्मकता की ओर ले जाएं। समझाएं कि जीवन बहुत खूबसूरत है। इसे नष्ट न करें। इसके साथ ही किसी मनोचिकित्सक की सलाह भी लें। यदि इस समय में उसे परिवार का सपोर्ट मिले तो वह बच सकता है।