गठबंधन के सामने होगी टिकट का असंतोष थामने की बड़ी चुनौती

पिछले चुनाव में मंडल की छह सीटों पर कब्जा करने वाली भाजपा और गठबंधन में शामिल होने से वंचित कर दी गई कांग्रेस ने अब नए सिरे से अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 24 Feb 2019 01:52 AM (IST) Updated:Sun, 24 Feb 2019 07:08 AM (IST)
गठबंधन के सामने होगी टिकट का असंतोष थामने की बड़ी चुनौती
गठबंधन के सामने होगी टिकट का असंतोष थामने की बड़ी चुनौती

मुरादाबाद(प्रेमपाल सिंह)। सपा और बसपा के गठबंधन के बाद इस बार मंडल में नया सियासी समीकरण बनने से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि अभी तक प्रत्याशियों की लिस्ट घोषित नहीं हुई है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस बार चुनावी दंगल पिछले चुनाव के तुलना में कुछ अलग तस्वीर गढ़ेगा।

सभी दलों ने शुरू की तैयारी

लोकसभा चुनाव के चलते सभी दलों ने अपनी तैयारियां जमीनी स्तर पर शुरू कर दी है। राजनीतिक दिग्गजों के सलाहकार यह तय करने में जुटे हैं कि कौन सा मुद्दा उन्हें बढ़त दिलाएगा और कौन नुकसान। मुरादाबाद मंडल की छह लोकसभा सीटों में सपा और बसपा के बीच तीन-तीन पर अपने प्रत्याशी उतारने पर सहमति बनी है। साथ ही दोनों पार्टियों ने तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। उधर, पिछले चुनाव में मंडल की छह सीटों पर कब्जा करने वाली भाजपा और गठबंधन में शामिल होने से वंचित कर दी गई कांग्रेस ने अब नए सिरे से अपनी तैयारी शुरू कर दी है। दोनों पार्टियां मजबूत समीकरण बनाने में कोई कसर छोडऩा नहीं चाहतीं। उनकी नजर सपा और बसपा के बडे नेताओं के बीच टिकट को लेकर होने वाली प्रतिक्रिया पर भी है। माना जा रहा है कि सपा और बसपा का टिकट घोषित होने के बाद टिकट के दावेदारों का असंतोष बाहर आएगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों की कोशिश इस असंतोष को अपनी ताकत बनाने की है। दोनों के रणनीतिकार इस पर नजर बनाए हुए हैं।

कार्यकर्ताओं में जगाया जोश

कांग्रेस ने हाल ही में उत्तर प्रदेश की कमान प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंप कर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने का काम किया है। दोनों ने कार्यभार तो संभाल लिया है लेकिन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनका दौरा शुरू होने वाला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाए गए सिंधिया 24 फरवरी को महान दल के साथ मुरादाबाद के रामलीला मैदान में प्रस्तावित कार्यक्रम में शामिल होकर अपनी चुनावी मुहिम की शुरुआत कर सकते हैं। इसके पूर्व कांग्रेस के तीन बडे नेताओं ने मंडल के विभिन्न क्षेत्रों को दौरा कर संभावित प्रत्याशियों का आकलन शुरू कर दिया है। कई नामों के बारे में नेतृत्व को फीडबैक भी दिया गया है लेकिन, कोई भी फैसला सिंधिया और प्रियंका की सहमति के बाद ही लिया जाएगा।

सपा-बसपा के वोट जुड़े तो हो सकता है बदलाव

पिछले लोकसभा के चुनावी नतीजों पर गौर करें तो सपा और बसपा क्रमश: दूसरे व तीसरे नंबर पर रही हैं। दोनों के एक साथ चुनाव लडऩे पर चुनावी समीकरणों में बदलाव की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। जहां सपा मुरादाबाद के साथ रामपुर और सम्भल में जीत के लिए तैयारी कर रही है वहीं बसपा बिजनौर, अमरोहा के साथ सुरक्षित सीट नगीना पर परचम फहराने का तानाबाना बुनने में जुट गई है। दोनों ही पार्टियों ने अभी प्रत्याशियों का एलान नहीं किया है। मार्च के पहले पखवारे में प्रत्याशियों की पहली आधिकारिक सूची आने की उम्मीद है। उसके बाद सियासत अलग रंग में दिखाई देगी। संभव है कि भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम भी उसके बाद घोषित होंगे। भाजपा अपने सभी मौजूदा सांसदों पर ही दांव लगाएगी या फिर उनमें बदलाव करेगी सबकी नजर इस पर लगी है।

प्रभारी ही बनाए जाएंगे प्रत्याशी

यद्यपि बसपा ने किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा आधिकारिक रूप से नहीं की है लेकिन, प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रभारी की तैनाती कर दिया है। बसपा की सांगठनिक रचना के तहत पूर्व के चुनावों में अधिकतर प्रभारियों को ही प्रत्याशी बनाया गया। माना जा रहा है कि बसपा ने जिन्हें प्रभारी बनाया है वे ही अन्तत: उसके उम्मीदवार होंगे। बिजनौर से इकबाल ठेकेदार और नगीना से गिरीश चन्द्र को बसपा लोकसभा प्रभारी बना चुकी है। अमरोहा में अभी प्रभारी की तैनाती नहीं हुई है। इसके लिए कई नाम चर्चा में हैं। बसपा किसे प्रभारी बनाएगी यह तो समय बताएगा लेकिन, कई कद्दावर नेता इसके लिए भागदौड़ कर रहे हैं। पिछले दिनों टिकट की रस्साकसी में नगीना और मुरादाबाद में एक बसपा नेता के खिलाफ बसपा के ही कुछ लोगों ने पोस्टर लगाकर विरोध जताया था। इसकी रिपोर्ट पार्टी मुखिया तक पहुंचा दी गई थी।

टिकट देने में सपा की राह नहीं होगी आसान

समाजवादी पार्टी में सम्भल से सपा के दिग्गज अपना टिकट तय मानकर चल रहे हैं। यहां टिकट के लिए नाम तय करना पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं है। जमीनी पकड़ रखने वाले नेता यदि टिकट से वंचित होते हैं तो पार्टी को कड़े अंतरविरोध का सामना करना पड़ सकता है। मुरादाबाद में भी दो प्रबल दावेदारों में जोरआजमाइश चल रही है। यहां का झगड़ा भी सार्वजनिक हो चुका है। दो नेताओं के पोस्टरों पर कालिख पोतकर विरोध जताया जा चुका है। रामपुर में टिकट को लेकर फिलहाल कोई विरोध नहीं हैं।

भाजपा भी जीत के लिए कर रहा तैयारी

नए गठबंधन के बाद भाजपा ने भी तैयारियां तेज कर दी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले बूथ कार्यकर्ताओं का सम्मेलन किया गया। इसके बाद यहां के लोगों को विकास योजनाओं की सौगात दी गई। भाजपा सामाजिक समीकरणों को सहेजने के लिए जीतोड़ कोशिशों में जुटी है।

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