Hypertension Day News : मुरादाबाद के चिकित्सक बाेले- कोरोना बना रहा एंजायटी और डिप्रेशन का शिकार, जानिए किस तरह दे रहा राेग
Hypertension Day News कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर युवाओं पर अधिक पड़ा है। कोरोना संक्रमित होने के बाद डिप्रेशन और एंजायटी की चपेट में आ रहे हैं। इसकी चपेट में आने वाले युवाओं को दिक्कत हो रही है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Hypertension Day News : कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर युवाओं पर अधिक पड़ा है। कोरोना संक्रमित होने के बाद डिप्रेशन और एंजायटी की चपेट में आ रहे हैं। इसकी चपेट में आने वाले युवाओं को दिक्कत हो रही है। मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास परीक्षण के लिए तीन से चार मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे हालत में परिवार के सदस्याें का सकारात्मक व्यवहार और हौसला डिप्रेशन में जाने नहीं देगा। इसलिए जो होम आइसोलेशन में हैं। पॉजिटिव सोच के साथ रहें। इंटरनेट मीडिया से दूरी बनाएं। जिससे मन में बुरे ख्यालात नहीं आ सकें। कोरोना का असर दिल, दिमाग और फेफड़ों पर पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण को हौसले से मात दी जाएगी। इसके बाद भी कोई दिक्कत महसूस होती है तो मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। जरूरत पड़ने पर ही दवा दी जाएगी।
डेलिरियम बीमारी के ये हैं लक्षण
आइसीयू में भतीर् कोरोना संक्रमित मानसिक संतुलन खो देते हैं। वो अपना आपा खो देते हैं। बहकी-बहकी बातें करेंगे। समय, दिन, व्यक्ति, स्थान का ध्यान नहीं होगा। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ पर शक करेंगे कि वो चक्रव्यूह में फंस गए हैं। कैसे इस चक्रव्यूह को तोड़ पाएंगे। तोड़फोड़ भी कर देंगे। याददाश्त भी कम हो जाएगी। ऐसे मरीजों को समझाने की जरूरत पड़ेगी। उन्हें सकारात्मक बातों के बारे में बताया जाएगा। जिससे उनके मन में बैठा डर खत्म हो।
आइसीयू साइकोसिस की भी हो रही परेशानी
लंबे समय तक आइसीयू में भर्ती मरीज डिस्चार्ज होने के बाद भी खुदको दूसरों से अलग समझता है। उसे लगता है कि वो बीमार है। ऐसे मरीजों को परिवार के लोग सकारात्मक बातों से समझाएं। खुशी का माहौल बनाएं। नकारात्मक बातें नहीं करें।
पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर के भी मरीज
होम आइसोलेशन में मरीजों के मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। वो बार-बार परिवार के बारे में सोचता रहा है। भविष्य के बारे में सोचने की वजह से उसके मन में डर पैदा हो जाता है। उसे लगता है कि अब दुनिया खत्म हो गई है। ऐसे मरीजों को नींद भी नहीं आती है। ऐसे मरीजाें के साथ परिवार के लोग को सकारात्मक बातें करें। ज्यादा दिक्कत हो तो मानसिक रोग विशेषज्ञ से बात करें या कराएं।
ये करें काम
परिवार सहयोगी की तरह काम करे
हिम्मत दें, भरोसा दें - एकजुट होकर रहें
नकारात्मक विचारों पर बात न करें
संयमित और अनुशासित रहे
पौष्टिक आहार लें - सकारात्मक रहें
खाली समय में गार्डनिंग करें
घर में खाली न रहें
कुछ न कुछ काम करते रहें
वाकई समय खराब है। ऐसे हालात में हम सभी लोगों को संयम से काम लेना है। परिवार का कोई सदस्य अगर संक्रमित हो गया है तो घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि उसका हौसला बढ़ाएं। होम आइसोलेशन के दौरान उसे कोई न कोई बिजी रहने वाला काम बताते रहें। इंटरनेट मीडिया पर संपर्क न हो। सकारात्मक विचारों का आदान प्रदान करें। डॉ. नीरज गुप्ता, मानसिक रोग विशेषज्ञ
15 से 25 साल के युवाओं में कोरोना के बाद डिप्रेशन की परेशानी देखने को मिल रही है। वो ये सोचने लगता है कि कोरोना होने से सबकुछ खत्म हो गया लेकिन, ऐसा बिलकुल नहीं है। उसका हौसला बढ़ाएं। नकारात्मक विचारों को दूर करें। परिवार के सभी लोग अच्छी-अच्छी बातें करें। डॉ. दिशांतर गोयल, मानसिक रोग विशेषज्ञ
कोरोना संक्रमण होने के बाद टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक विचार के साथ पौष्टिक आहार लें। ज्यादा बातें सोचने की जरूरत नहीं है। ये सोचें कि ठीक होने वालों की भी संख्या कम नहीं है। डॉ. बलराज सिंह, आयुर्वेद चिकित्सक
कोरोना की वजह से युवा डिप्रेशन का भी शिकार हो रहे है। ऐसे में उन्हें पॉजिटिव सोच रखनी है। बार-बार एक ही बात याद आ रही है तो परिवार के लोग उसकी मदद करें। इसके साथ ही चिकित्सक से परामर्श भी करें। डॉ. आरके शर्मा, होम्योपैथ चिकित्सक