अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी बना रही अपनी अलग पहचान

रविवार को अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर महानगर में अनेक आयोजन हुए। हिंदी की विशेषता पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि आज आप विश्व के किसी देश में चले जाइये वहां हिंदी को बोलने और समझने वाले मिल जाएंगे। यह हिंदी की सशक्त होती स्थिति को दर्शाता है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 03:41 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 03:41 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी बना रही अपनी अलग पहचान
मुरादाबाद में हिंदी सेवियों ने किए हिंदी को बढ़ावा देने के लिए की चर्चा।

मुरादाबाद, जेएनएन। हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनी अलग पहचान बना रही है। इंटरनेट मीडिया के बाद हिंदी की धाक बढ़ती जा रही है। रविवार को अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर महानगर में अनेक आयोजन हुए। इसमें हिंदी की विशेषता पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि आज आप विश्व के किसी देश में चले जाइये वहां हिंदी को बोलने और समझने वाले मिल जाएंगे। यह हिंदी की सशक्त होती स्थिति को दर्शाता है। काव्य सुधा साहित्यिक मंच की ओर से रविवार को काव्योत्सव व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। मिलन विहार स्थित राम मंदिर में हुए इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में केपी सिंह सरल व विशिष्ट अतिथि के रूप में अतुल जौहरी रहे। दीप प्रज्ज्वलन से शुरू हुए इस कार्यक्रम में रघुराज सिंह निश्चल ने तोडफ़ोड़ की राजनीति से, शासन नहीं झुका करता है पढ़ी। इसके बाद अतुल जौहरी ने सच के सिर पर आरी है कैसी महामारी है पढ़ी। इसके अलावा शबाबुल हसन, केपी सिंह सरल, सतीश फिगार, राम सिंह निशंक, अशोक विद्रोही, शायर मुरादाबादी ने भी अपनी रचनाएं पढ़ीं। इस दौरान आकाश वीर सिंह, एश्वर्या वर्मा शामिल रहे। 

हिंदी से ही देश की उन्नति

साथी मानवसेवा ट्रस्ट की ओर से रविवार को विश्व हिंदी दिवस मनाया गया। भट्ठी स्ट्रीट कार्यालय पर हुए कार्यक्रम में डॉ. भारत भूषण अग्रवाल ने कहा कि हिंदी से ही देश की उन्नति है। इस दौरान सभी पदाधिकारियों ने हिंदी में कार्य करने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम में अध्यक्ष विजेंद्र सिंह यादव, सचिव नौबतराम सिंह, विशाल गौड़, शादान शम्सी, हबीब फुरकान अहमद, नवनीत शर्मा, जग्गू बोहरा मौजूद रहे।

आस जीने की जगा कर, कूक जाओ कोकिला.. 

साहित्यिक संस्था हस्ताक्षर की ओर से रविवार को वाट्सएप ग्रुप पर मुक्तक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर आधारित मुक्तकों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ व्यंग्य कवि अशोक विश्नोई व विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवयित्री डॉ. पूनम बंसल मौजूद रहीं। इसमें राजीव प्रखर ने फिर विटप से गीत कोई, अब सुनाओ कोकिला, आस जीने की जगा कर, कूक जाओ कोकिला सुनाकर वाहवाही लूटी। इसके बाद योगेन्द्र वर्मा व्योम ने त्यागकर स्वार्थ का छल भरा आवरण, तू दिखा तो सही प्यार का आचरण प्रस्तुत की। डॉ. अजय अनुपम ने होठों पर तनिक बुदबुदाहट है, फूल पत्तों में सरसराहट है प्रस्तुत की। इसके अलावा अशोक विश्नोई, डॉ. पूनम बंसल, शिशुपाल मधुकर, डॉ. मनोज रस्तोगी, ओंकार ङ्क्षसह विवेक, मनोज मनु, डॉ. अर्चना गुप्ता, हेमा तिवारी भट्ट, डॉ. ममता सिंह, डॉ. रीता सिंह, निवेदिता सक्सेना ने रचनाएं प्रस्तुत कीं। डॉ. मक्खन मुरादाबादी व शायर जिया जमीर भी शामिल रहे। 

chat bot
आपका साथी