Hindi Diwas 2021 : इनके मन में रची बसी है हिंदी, विदेश में हिंदी को सम्मान दिला रहे डा. महेश दिवाकर
Hindi Diwas 2021 हिंदी के उन्नयन एवं संवर्द्धन के लिए समर्पित डा.महेशन दिवाकर विश्व पटल पर हिंदी को पहचान दिलाते आ रहे हैं। हिंदी के लिए असाधारण सेवाओं के क्षेत्र में साहित्य भूषण सम्मान 2018 में प्राप्त करने वाले महेश दिवाकर ने अपना जीवन हिंदी को समर्पित किया है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Hindi Diwas 2021 : हिंदी के उन्नयन एवं संवर्द्धन के लिए समर्पित डा.महेशन दिवाकर विश्व पटल पर हिंदी को पहचान दिलाते आ रहे हैं। हिंदी के लिए असाधारण सेवाओं के क्षेत्र में साहित्य भूषण सम्मान 2018 में प्राप्त करने वाले डा.महेश चंद्र दिवाकर ने अपना जीवन हिंदी को समर्पित किया है। विदेश के विश्वविद्यालयों में हिंदी के प्रचार को कांफ्रेंस हर साल कराते हैं। अब तक 80 से अधिक किताबें लिखने वाले मिलन विहार निवासी डा. दिवाकर का हिंदी प्रेम का ही नतीजा है कि उनके सानिध्य में हिंदी में अनेक रचनाकारों के कृतित्व पर पीएचडी कराई है।
यही नहीे मिलन विहार स्थित आवासीय परिसर में अपने पैसे से हिंदी भवन 2020 में बनवाया है, जिससे यह हिंदी भवन उनका हिंदी प्रेम हमेशा याद दिलाता रहेगा। इस भवन में 11 कक्ष हैं। भूतल पर 100 लाेगों के बैठने की जगह है। जिसमें हिंदी प्रेमी साहित्यकारों के चित्र भी लगे हैं। बिजनौर जिले में चांदपुर तहसील के गुलाबसिंह हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त डा.महेश दिवाकर ने 1978-79 में एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से हिंदी नयी कहानी समाजशास्त्रीय अध्ययन शीर्षक शोध प्रबंध पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।
डा.महेश दिवाकर एक समर्थ लेखक एवं कवि भी हैं, जिन्होंने हिंदी की विविध विधाओं में अनेक: कृतियों की रना की है। उनकी मौलिक कृतियों में दो शोध ग्रंथ दस समीक्षा शोधपरक ग्रंथ, दो साक्षात्कार ग्रंथ, दो नई कविता संग्रह, दो गीत संग्रह, सात खंड काव्य, तेरह यात्रा-वृत्त, दो संस्मरण एवं रेखा चित्र संगह उल्लेखनीय रहे हैं। डा.महेश दिवाकर कहते हैं कि हिंदी विदेश में तेजी से पकड़ बना रही है। वहां के लोग हिंदी को समझते हैं। विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ने वालों की रुचि दिखने को मिलती है। हिंदी का प्रभाव बहुत है लेकिन, अपने देश में अभी हिंदी को उस सम्मान की जरूरत है जो दूसरी भाषा अग्रेंजी को मिलता है। हिंदी को सम्मान दिलाना ही उनका एक मात्र ध्येय है।
इन देशों में किया हिंदी का प्रचारः डा. महेश दिवाकर केवल देश में ही विदेश में हिंदी प्रेमियों के बीच अपनी पहुंच रखते हैं। हिंदी के प्रचार के लिए विदेश में संगोष्ठी आयोजित कराते हैं। नार्वे, स्वीडन, त्रिनदाद एवं टुबैगो, उजबेकिस्तान, मोरिशस, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, दुबई, मास्को, इंग्लैंड, आबूधाबी, फ्रांस, स्विटजरलैंड, इटली, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, कम्बोडिया, वियतनाम, आस्ट्रिया, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड, भूटान देशों की साहित्यिक यात्राएं कर चुके हैं।