डेंगू और मलेरिया मच्छर से लोगों को बचाने के लिए जंग लड़ेगी गंबूजिया मछली, जानें गंबूजिया मछली की खासियत
Gambujia Fish Fight With Mosquito जिले में डेंगू और मलेरिया से जंग लड़ने के लिए गंबूजिया नस्ल की मछलियों की मदद ली जाएगी। इसके लिए 20 तालाबों का चयन कर लिया गया है। शुक्रवार को जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने शहर के आसपास के तालाबों में गंबूजिया मछलियां डालीं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Gambujia Fish Fight With Mosquito : जिले में डेंगू और मलेरिया से जंग लड़ने के लिए गंबूजिया नस्ल की मछलियों की मदद ली जाएगी। इसके लिए 20 तालाबों का चयन कर लिया गया है। शुक्रवार को जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने शहर के आसपास के कई तालाबों में गंबूजिया मछलियां डालीं। यह मछलियां मच्छरों का लार्वा खाकर डेंगू और मलेरिया से बचाव करती हैं।
गंबूजिया मछली डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले जानलेवा मच्छरों के लार्वा को खाकर लोगों की जान बचाती है। मत्स्य पालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से डेंगू, मलेरिया के मच्छरों से लड़ने के लिए ईको-फ्रेंडली तरीके के काम कर रहे हैं। डीएम ने मुरादाबाद में डेंगू की रोकथाम के लिए एक अभिनव प्रयास के तहत जनपद लखीमपुर से गंबूजिया नस्ल की मछली मंगाकर तालाबों में डलवाया है। यह मछलियां पानी में पैदा होने वाले मच्छर के लार्वा को खत्म करने में सक्षम होती हैं।
अपर निदेशक मत्स्य के स्तर से अगवानपुर में चिन्हित तालाब में इस प्रजाति की मछलियों को प्रयोग के तौर पर संरक्षित किया गया है। डीएम ने बताया कि मच्छरों का लार्वा खास कर टीबी से संबंधित को यह मछलियां खा जाती है, इसको समाप्त करने का यह नेचुरल तरीका है। अभी शुरुआत में 20 तालाबों में प्रयोग किया जायेगा, आगामी वर्ष में जनपद के पानी रहने वाले सभी तालाबों में गंबूजिया मछली का प्रयोग किया जाएगा।
लार्वा खाकर डेंगू से बचाव में बनेगी सहायकः मत्स्य पालन विभाग की उप निदेशक सुजेता गुप्ता ने बताया कि गंबुजिया मछलियाें को तालाबों में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को खाने के लिए छोड़ा जा रहा है। यह पानी पर अंडे देने वाले मच्छरों के लार्वा को ही खाती हैं। मच्छर पैदा होने से पहले ही यह मछली लार्वा खा लेती हैं। एक गंबूजिया मछली 24 घंटे में 100 से 300 तक लार्वा खा सकती है। एक मछली एक महीने में करीब 50 से 200 अंडे देती है। एक मछली उम्र चार से पांच साल है। यह मछली डेंगू से लड़ाई में काफी हद तक सहायक साबित होती है। तालाबों को चिहिन्त करके मछलियों को डालने का काम चल रहा है।