Flood Water in Forest : अमानगढ़ के जंगल में बाढ़ का पानी, जानवर बेहाल, कई बचाए गए, ड्रोन से हो रही न‍िगरानी

Flood Water in Forest रामपुर क्षेत्र में हिरण का बच्चा और मोर पानी में बहकर आ गए। इनमें से हिरण के बच्चे को बचा लिया गया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नदी किनारे के क्षेत्र में जो जानवर उस समय थे वह ज्यादा प्रभावित हुए हैैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 07:57 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 07:57 AM (IST)
Flood Water in Forest : अमानगढ़ के जंगल में बाढ़ का पानी, जानवर बेहाल, कई बचाए गए, ड्रोन से हो रही न‍िगरानी
हिरन, हाथी के साथ अन्य छोटे जानवरों को टीम ने बचाया।

मुरादाबाद [रितेश द्विवेदी]। उत्तराखंड में बाढ़ से अमानगढ़ के जंगल के जानवर मुश्किल में हैैं। इंटरनेट मीडिया पर दो दिन पहले ही हाथी के बाढ़ में फंसने का वीडियो वायरल हुआ, जिसे बचा लिया गया। यह वीडियो उत्तराखंड के हल्द्वानी का था। नदी किनारे वाले क्षेत्र में हिरण और बारहसिंगा भी फंस गए। इनमें से कैमरे में दिखने वाले कुछ जानवरों को बचा लिया गया।

जिम कार्बेट पार्क का साढ़े आठ हजार वर्ग मीटर का हिस्सा मुरादाबाद की अमानगढ़ रेंज का जंगल है। इसमें भी बड़ी संख्या में जंगली जानवर हैं। वन विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में बारिश के बाद जंगल में भी बाढ़ ने बहुत प्रभावित किया हैै। अमानगढ़ क्षेत्र में कुछ वर्ग किमी का नदी से लगा क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ। अचानक पानी आने से सियार, हिरन और बारहसिंगा बाढ़ की चपेट में आ गए। इनमें से दो जानवर वन विभाग कै कैमरों की जद में आए तो उन्हें बचाया गया। अन्य जानवरों को बचाने के लिए भी एक सप्ताह जानवरों को बचाने के लिए अभियान चलाया गया, जिसमें छोटे जानवर बचाए गए। उधर रामपुर क्षेत्र में हिरण का बच्चा और मोर पानी में बहकर आ गए। इनमें से हिरण के बच्चे को बचा लिया गया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नदी किनारे के क्षेत्र में जो जानवर उस समय थे, वह ज्यादा प्रभावित हुए हैैं।

ड्रोन और ट्रैप्स कैमरे से मिल रहीं सूचनाएं : जंगल में जानवरों को बचाने में सबसे ज्यादा सहायक ट्रैप्स कमरे के साथ ही ड्रोन हो रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अमानगढ़ रेंज में जंगल की निगरानी के लिए लगभग 100 ट्रैप्स कैमरों को लगाया है। पेड़ों पर लगाए जाने वाले इन कैमरों में सेंसर लगे होते हैं। उसके सामने से 500 मीटर एरिया में कोई जानवर निकलता है, तो उसकी फोटो के साथ ही 30 सेकेंड का वीडियो बन जाता है। कैमरे इंटरनेट के सहारे कंट्रोल रूम से कनेक्ट रहते हैं। जैसे ही कंट्रोल रूम से पानी में फंसा हुआ या बहता हुआ जानवर का फुटेज दिखाई पड़ता है। उसको बचाने के लिए टीम को सक्रिय कर दिया जाता है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी उन्हीं जानवरों को होती है, जो पेड़ पर चढ़ नहीं पाते हैं। इसके साथ ही ड्रोन के माध्यम से जंगल के साथ ही नदियों के किनारों की निगरानी की जा रही है।

उत्तराखंड में हुई बारिश का असर अमानगढ़ के जंगल में भी पड़ा है। जंगल की ड्रोन और ट्रैप्स कैमरे के माध्यम से निगरानी की जा रही है। बीते दो दिनों में पानी स्तर काफी कम हो गया है लेकिन, इसके बाद भी जानवरों के कीचड़ में फंसने की आशंका है। कई जानवरों को बचाया भी गया है।

-विजय सिंह, क्षेत्रीय वन निदेशक, मुरादाबाद 

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