दुश्वारियों के बावजूद ग्रामीणों ने मनाया लोकतंत्र का पर्व

ठाकुरद्वारा ब्लाक के गांव दरियापुर में मतदान के उत्सव में दरियादिली दिखी। लोकतंत्र की झोली भरने में 80 फीसद तक मतदान किया।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 01:53 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 08:15 AM (IST)
दुश्वारियों के बावजूद ग्रामीणों ने मनाया लोकतंत्र का पर्व
दुश्वारियों के बावजूद ग्रामीणों ने मनाया लोकतंत्र का पर्व

मुरादाबाद(श्रीशचंद्र मिश्र राजन)। ठाकुरद्वारा ब्लाक के गांव दरियापुर में मतदान के उत्सव में दरियादिली दिखी। लोकतंत्र की झोली भरने में 80 फीसद तक मतदान किया। तपती दोपहरी भी ग्रामीणों का उत्साह डिगा नहीं पाई।

मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र का पहला बूथ दरियापुर में है। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण दरियापुर की राह दुरूह है। जिले के अंतिम छोर पर बसा यह गांव ठाकुरद्वारा विकास खंड क्षेत्र का हिस्सा है और कांठ विधान सभा क्षेत्र की सीमा में आता है, लेकिन नजदीकी बिजनौर से है। दरियापुर के पूरब में रामगंगा बहती है तो पश्चिम, दक्षिण व उत्तर दिशा में बिजनौर की भूमि है। ऐसे में दरियापुर को मुरादाबाद से जोडऩे का एक मात्र विकल्प रामगंगा पर पक्के पुल का निर्माण है। पुल से ग्रामीणों के जीवन में आमूल चूल बदलाव आएगा। इसलिए ही दरियापुर के ग्रामीण अर्से से रामगंगा पर पक्के पुल की मांग कर रहे हैं। लोकतंत्र के महाकुंभ में दरियापुर के मतदाताओं के शामिल होने पर संशय था, लेकिन ग्रामीण अपने दायित्व को नहीं भूले। सुबह सात बजे मतदान शुरू होते ही ग्रामीणों की लंबी कतार बूथ पर लग गई। महिलाएं व पुरुषों में मतदान की होड़ पूरे दिन रही। कुल 1090 मतों में से शाम छह बजे तक 889 वोट ईवीए में दर्ज हुए। ग्रामीणों के इस अभूतपूर्व उत्साह ने मतदान कर्मियों को भी हैरत में डाल दिया, जो बातचीत में दरियापुर को विकास की दृष्टि से पिछड़ा और ग्रामीणों के आक्रोश को जायज बता रहे थे।

जर्जर लकड़ी का पुल भी नहीं रोक सका कदम

गांव से करीब दो किमी दूर रामगंगा पर बना लकड़ी का जर्जर पुल भी ग्रामीणों के उत्साह को ठंडा नहीं कर पाया। बताया जाता है कि दरियापुर के सैकड़ों ग्रामीण रोजी रोटी की तलाश में गांव से दूर हैं। इसके बावजूद उन्होंने दायित्व निर्वहन में कोताही नहीं बरती। बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि लकड़ी पुल के निर्माण में प्रति वर्ष करीब एक लाख रुपये व्यय होते हैं। मंगलवार को भी हर दिन की तरह जर्जर हो चुके पुल से जान जोखिम में डालकर गुजर रहे थे।

दूसरे शहरों से आकर निभाई जिम्मेदारी

दरियापुर में अधिकांश युवक ऐसे हैं, जो दूसरे शहरों में रहकर जीविकोपार्जन करते हैं। कम आय के बाद भी उन्होंने तवज्जो वोट को दी। ओमवीर ने कहा कि गांव के कायाकल्प की उम्मीद का दीया आज भी हमारे दिल में जल रहा है। लोकतंत्र मजबूत होगा तभी हमारे भी दिन बहुरेंगे। इसलिए गांव आकर मतदान किया। मुकेश का कहना है कि मतदान हमारा फर्ज है। रामगंगा की भांति ही विकास की गंगा भी हमारे गांव में दस्तक देगी। राजेश ने कहा कि रोजगार तो पूरे साल चलेगा, लेकिन मतदान का मौका पांच वर्ष पर एक बार मिलेगा। इसलिए गांव आकर वोट डाला। सचिन ने कहा कि विकास की उम्मीद तभी कायम होगी, जब मनचाहा प्रतिनिधि चुनें।  

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