बरसात से सब्जी उत्पादक किसान मायूस, चार रुपये किलो बिक रहा टमाटर

मुरादाबाद जासं बरसात से सब्जी उत्पादक किसानों पर सबसे अधिक असर पड़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 07:37 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 07:37 PM (IST)
बरसात से सब्जी उत्पादक किसान मायूस, चार रुपये किलो बिक रहा टमाटर
बरसात से सब्जी उत्पादक किसान मायूस, चार रुपये किलो बिक रहा टमाटर

मुरादाबाद, जासं: बरसात से सब्जी उत्पादक किसानों पर सबसे अधिक असर पड़ा है। सड़ने के डर से मंडी में टमाटर की आवक इतनी बढ़ गई है कि भाव चार रुपये किलो पर पहुंच गया है। आलू-प्याज के दामों पर तो बड़ा असर नहीं पड़ा है, लेकिन अन्य मौसमी सब्जियां बरसात के कारण सस्ती हो गई हैं। इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है। वहीं फुटकर में सब्जी बेचने वाले ठेले वाले अभी भी महंगाई बनाए हुए हैं। हालांकि, एक बरसात और हो गई तो सब्जियां महंगी हो सकती हैं।

-------------------

अचानक गिर गए सब्जियों के दाम

मंडी इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम का भी सब्जियों के दामों पर काफी असर पड़ता है। बरसात से टमाटर के थोक के दामों पर बहुत असर हुआ है। बरसात से पहले टमाटर महंगा था लेकिन, अब चार रुपये किलो बिक रहा है। मटर, गोभी और शिमला मिर्च बाहर से आ रही है। इसलिए इनके दामों पर कोई खास असर नहीं है। प्याज और आलू के दाम भी थोड़ा बहुत ही इधर-उधर हुए हैं। बरसात के बाद लोकल सब्जियों के थोक के दामों पर असर पड़ रहा है। कृषि उत्पादन मंडी समिति के आढ़ती राजकुमार सैनी ने बताया कि तोरई, लौकी, मिर्च, धनिया सब मंडी में सस्ते दामों में बिक रहे हैं। मंडी में जैविक बाजार लगाकर सब्जियां बेची जाती थीं। कोरोना संक्रमण के बाद जैविक खेती करने वाले किसानों की सब्जियां बेचने का प्लेटफार्म भी खत्म हो गया है। तरबूज और खरबूजा की पालेज लगाने वाले किसानों को भी फसलों के दाम ठीक से नहीं मिल पाए। फोटो::

हम तो जैविक खेती करते हैं। कोरोना संक्रमण और बरसात के बाद सब्जियां बेचना मुश्किल हो गया है। फसलों के दाम ही ठीक से नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में आसपास में ही सब्जियां बेचनी होती हैं।

हरवंश सिंह, किसान फोटो:

सब्जी और फलों की खेती करने वाले किसानों पर कोरोना की सबसे अधिक मार पड़ी है। मंडियों में ग्राहक नहीं आने से भी सब्जियां सस्ती बिक रही हैं। लेकिन, सरकार को किसी की परवाह नहीं है।

लईक अहमद, किसान फोटो

बरसात होने से लोकल सब्जियां सस्ती हो गई हैं। टमाटर के दामों में सबसे अधिक गिरावट आई है लेकिन, एक बरसात और हो गई तो सब्जियां महंगी हो सकती है, क्योंकि मंडी का रेट आवक पर निर्धारित होता है।

महावीर सैनी, आढ़ती फोटो

रामगंगा नदी किनारे पालेज की खेती की थी। इस बार खरबूज और तरबूज कोरोना की वजह से बाहर नहीं जा पाया। इसकी वजह सस्ते में ही बेचना ही पड़ा है। इसलिए पालेज की खेती फायदा का सौदा नहीं हुआ।

पप्पू, किसान मुरादाबाद में बरसात से पहले और अब सब्जियों के थोक के दामों पर एक नजर

सब्जी बरसात से पहले (प्रतिकिलो) अब (प्रतिकिलो)

टमाटर 10-12 रुपये 04- 05 रुपये

तोरई 20-22 रुपये 10-11 रुपये

बैंगन 10-11 रुपये 07-08 रुपये

मिर्च 10-12 रुपये 8- 09 रुपये

लोकी 15-20 रुपये 10-12 रुपये

भिडी 20-21 रुपये 09-10 रुपये

धनिया 20-22 रुपये. 15-16 रुपये

कटहल 10- 15 रुपये 07-12 रुपये

करेला 12-18 रुपये 10-15 रुपये

खीरा 20-22 रुपये 15-20 रुपये

आलू 06-10 रुपये 05-08 रुपये प्याज 16- 20 रुपये 15-18 रुपये

chat bot
आपका साथी