Special on Jhulelal Jayanti : शादी में शामिल होने दिल्ली आया था परिवार, बंटवारे के बाद नहीं जा पाए पाकिस्तान, मुरादाबाद में चलाते हैं दुकान
किसी का एक भी रुपया गुम जाए तो वो उसे तलाशने जुट जाता है लेकिन किसी के पूरे जीवन की पूंजी ही छूट जाए तो उसके दिल का दर्द आप खुद समझ सकते हैं। परिवार बंटवारे के बाद पाकिस्तान नहीं जा पाया।
मुरादाबाद, जेएनएन। किसी का एक भी रुपया गुम जाए तो वो उसे तलाशने जुट जाता है लेकिन, किसी के पूरे जीवन की पूंजी ही छूट जाए तो उसके दिल का दर्द आप खुद समझ सकते हैं। रेलवे स्टेशन के सामने परचून दुकान चलाने वाले अशोक सिंधी के पिता स्व. घनश्याम दास परिवार के साथ दिल्ली शादी में शामिल होने आए थे। बंटवारे की खबरों के बाद वो दोबारा वापस ही नहीं जा सके।
अशोक की सेपुर रियासत में फर्नीचर की दुकान, मकान और जमीन पूरा भरापूरा छोड़कर आ गए। सिंधी समाज एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने बताया कि उनके पिता स्व. घनश्याम दास, माता स्व. कृष्णा देवी परिवार के साथ 1947 में परिवार के साथ पहुंचे थे। बंटवारे के बाद पहुंच ही नहीं पाए। पिता परिवार को लेकर मुरादाबाद आ गए। बुध बाजार में पुलिस चौकी के पास परचून की दुकान की। वहां सुनसान होने की वजह से सियालकोट ट्रांसपोर्ट के बगल में दुकान ली थी। अब रेलवे स्टेशन के सामने दुकान है। पाकिस्तान से आने के बाद किराए पर ही रहे। पिता की मृत्यु 1972 में हो गई थी। पत्नी किरन देवी, बड़ा बेटा दीपक कुमार सिंधी, बेटी सोनाली सिंधी, दीपेश सिंधी हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हमारे दूर के रिश्तेदार आज भी रहते हैं। वहां सभी लोग अपना-अपना बिजनेस करते हैं। लेकिन, वहां के हालात अच्छे नहीं हैं। हम भारत का खून हैं। यहां सबसे अधिक खुशहाल हैं। पिता का फैसला सही है। इस समाज के लोग मुरादाबाद में एक साथ झूलेलाल जयंती मनाते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कार्यक्रम बहुत सीमित रखा गया।