Fake License Case : फर्जी दस्तावेजों से गेहूं-धान का क्रय और विक्रय लाइसेंस बनवाले वाला मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार
Fake License Case रामपुर के थाना कोतवाली के अलावा मुरादाबाद में भी उसके खिलाफ अवैध रूप से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी लाइसेंस बनाने अवैध रूप से उर्वरक बेचने आदि में मुकदमे पंजीकृत हैं। आरोपित बेहद शातिर अपराधी है।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Fake License Case : जिले की अपराध शाखा की टीम ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए गेहूं धान क्रय-विक्रय केंद्र और उर्वरक बेचने के लिए लाइसेंस लेने के मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार करके जेल भिजवा दिया है। आराेपित ने रामपुर और मुरादाबाद दोनों जिलों में फर्जी तरीके से लाइसेंस लेकर लाखों रुपये कमाए थे। पुलिस को आरोपित की काफी समय से तलाश थी।
एसएसपी बबलू कुमार के आदेश पर पुलिस अधीक्षक अपराध अशोक कुमार सिंह ने निरीक्षक अपराध शाखा फूलचंद्र वर्मा की अगुवाई में आरोपितों की तलाश में टीम गठित की थी। टीम ने थाना कोतवाली रामपुर व जनपद मुरादाबाद के मूंढापांडे समेत कई थानों में नामजद अभियुक्त मुहम्मद शादाब हुसैन निवासी मातीपुर मैनी, थाना मूंढापांडे को गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से विभिन्न संस्थाओं की मोहरें एवं विभिन्न लेटर पैड आदि बरामद किए गए हैं। एसपी अपराध ने बताया कि आरोपित मुख्य साजिशकर्ता है। पूछताछ में शादाब ने बताया गया कि वह मुरादाबाद में पहले से बनीं किसान समितियों के अध्यक्षों का नाम के कूटरचित दस्तावेज बनाकर उन पर अपना नाम लिखकर जिला कृषि अधिकारियों से लाइसेंस बनवा लेता था। इन पर कर्ज भी ले लेता था। एग्रो परपज कोपरेशन लिमिटेड कंपनी का नाम दिखाकर जिला कृषि विपणन कार्यालय रामपुर से कूटरचित दस्तावेज के आधार पर गेहूं क्रय विक्रय का लाइसेंस भी लिया था। रामपुर के थाना कोतवाली के अलावा मुरादाबाद में भी उसके खिलाफ अवैध रूप से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी लाइसेंस बनाने, अवैध रूप से उर्वरक बेचने आदि में मुकदमे पंजीकृत हैं। एसपी अपराध ने बताया कि आरोपित बेहद शातिर अपराधी है। वह गिरफ्तारी के बचने के लिए भागा हुआ था।
शादाब के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में आठ मुकदमे दर्ज हैं : निरीक्षक फूलचंद्र वर्मा ने बताया कि आरोपित शादाब के खिलाफ थाना कोतवाली रामपुर, थाना मूंढापांडे, थाना ठाकुरद्वारा, थाना सिविल लाइन, थाना भगतपुर, थाना डिलारी, थाना कुंदरकी में धोखाधड़ी के आरोप में आठ मुकदमे दर्ज हैं।
नेताओं की शरण में रहा आरोपित : आरोपित कार्रवाई से बचने के लिए कई नेताओं की शरण में रहा। लेकिन, बच नहीं सका। वह पुराने समितियों के कागज चोरी कराने के बाद उसका फर्जी चुनाव कराकर खुद मालिक बन बैठता था। कई साल तक उसका खेल चलता रहा। एक शिकायत पर मामले की जांच शुरू हुई तो भेद खुला। इसके बाद कृषि विभाग के कई कर्मचारियों पर भी सवाल खड़े हो गए थे। लेकिन, अभी तक विवेचना में उनमें से किसी का नाम शामिल नहीं हुआ है।