Fake Birth Certificate case : ज‍िले में चल रहा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का खेल, दो मामले आए सामने

Fake Birth Certificate case प्रेम प्रसंग के मामले में पाक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज होने के बाद निगम से जन्म प्रमाण पत्र में लगाए गए अभिलेख मांगे थे। जब नगर निगम के पास कोई अभिलेख नहीं था तब लड़की के घर जाकर जांच की गई।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 10:01 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 10:01 AM (IST)
Fake Birth Certificate case : ज‍िले में चल रहा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का खेल, दो मामले आए सामने
लड़की के स्‍वजन पर नगर निगम एफआइआर कराने की तैयारी कर चुका है।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Fake Birth Certificate case : मामला केवल नगर निगम से फर्जी प्रमाण पत्र जारी होने तक सीमित नहीं है। नगर निगम से आठ अक्टूबर 2021 को प्रमाण पत्र जारी किया गया। जबकि एक महीने पहले कांठ नगर पालिका से 10 सितंबर 2021 को भी जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया। एक महीने में जन्म प्रमाण पत्र कांठ नगर पालिका की अदलपुर सिनीअली ग्राम पंचायत से जारी किया गया और दूसरा नगर निगम से जारी हुआ। जो नियम विरुद्ध है। इसमें लड़की के स्‍वजन पर नगर निगम एफआइआर कराने की तैयारी कर चुका है।

यह मामला क्षेत्रीय सफाई निरीक्षक की जांच में तब सामने आया था, जब नागफनी थाने में एक प्रेम प्रसंग के मामले में पाक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज होने के बाद निगम से जन्म प्रमाण पत्र में लगाए गए अभिलेख मांगे थे। जब नगर निगम के पास कोई अभिलेख नहीं था, तब लड़की के घर जाकर जांच की गई। इसमें लड़की का कांठ की ग्राम पंचायत से एक महीने पहले जारी प्रमाण पत्र स्‍वजन ने दिखाया। जिसमें एक महीने में दो प्रमाण पत्र बनवाने में लड़की के स्वजन भी दोषी हैं, जिस पर नगर निगम लड़की के स्वजन पर एफआइआर कराने की तैयारी कर रहा है। लेकिन, अपने कर्मचारी को बचाने की कोशिश की जा रही है।

यह है नियम : पहले नगर निगम से फार्म लेकर उसे भरने के बाद सफाई निरीक्षक व सफाई नायक जांच करता है। सभी जांच पूरी होने के बाद फार्म नगर निगम में जमा होता है। नगर निगम के कर्मचारी उस फार्म को वेबसाइट पर अपलोड करते हैं और मैनुअल फार्म को भी सत्यापन के लिए वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास भेजा जाता है और सत्यपान व डिजीटल हस्ताक्षर के बाद पंजिका में चढ़ाया जाता है। लेकिन, फार्म मैनुअल तरीके से भी सत्यापन के लिए नहीं भेजा गया और पंजिका में भी नहीं चढ़ाया गया।

नागफनी थाने में एक पाक्‍सो एक्ट 376 में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसकी जांच नगर निगम से कराने के लिए रिपाेर्ट मांगी थी। नगर निगम से जांच रिपोर्ट मिल गई है। जिसमें प्रमाण पत्र फर्जी होने की बात कही गई है। अब मामला स्पष्ट होने पर पाक्सो एक्ट हटाकर प्रेम प्रंसग की दूसरी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

जय प्रकाश यादव, प्रभारी, थाना नागफनी

फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में अपर नगर आयुक्त को सौंपी जांच : नगर निगम में वरिष्ठ नगर स्वास्थय अधिकारी की आइडी व पासवर्ड का दुरुपयोग करने वाले आउट सोर्सिंग कर्मचारी की फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में संलिप्तता सामने आने के बाद भी निगम के ही कर्मचारी व अधिकारी बचाने में जुटे हैं। जबकि जांच में नगर निगम से जन्म प्रमाण पत्र फर्जी बनाने का मामला सामने आने पर प्रमाण पत्र निरस्त करने को लखनऊ में मुख्य रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर लिखकर भेजा गया है। नगर आयुक्त संजय चौहान ने दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेकर इस मामले की जांच अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह को सौंपी है। अपर नगर आयुक्त ने इस मामले को गंभीरता लेते हुए जांच शुरू कर दी है। लेकिन, इस फर्जी प्रमाण पत्र को बनाने वाले आउट सोर्सिंग कर्मचारी की मेहरबानी से सात अक्टूबर को फार्म सीधे वेबसाइट पर अपलोड किया गया और आठ अक्टूबर को प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया जबकि आम तौर लोग प्रमाण पत्र लेने को हफ्तों तक नगर निगम के चक्कर लगाते हैं। अभी तक जांच में कर्मचारी ने क्षेत्रीय सफाई निरीक्षक व सफाई नायक की रिपोर्ट, पार्षद का पत्र, 21 दिन से अधिक उम्र होने पर एसडीएम की रिपोर्ट लगे बिना एक लड़की का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। संदिग्ध रूप से जोनल सफाई इंस्पेक्टर के कार्यालय में मानिटर भी जला मिला।

इस मामले की जांच अपर नगर आयुक्त को सौंप दी है। जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई निश्चित होगी। लागिन और आइडी का दुरुपयोग न हो इसको लेकर भी निर्देशित किया गया है।

संजय चौहान, नगर आयुक्त

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